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"भक्तों की मर्यादा के आगे प्रभु अपनी मर्यादा का ख्याल नहीं रखते।" पूज्य महाराज श्री के सानिध्य में 6 से 13 दिसंबर 2017 तक, भायंदर, ईस्ट मुम्बई में आयोजित श्रीमद भागवत कथा के चतुर्थ दिवस पर भगवान वामन की लीलाओं का सुंदर वर्णन भक्तों को श्रवण कराया।





श्रीमद् भागवत कथा में राजा बलि की कथा श्रवण कराते हुए पूज्य श्री देवकीनंदन ठाकुर जी महाराज ने कहा कि जब राजा बलि ने भगवान वामन को तीन पग का दान दे दिया। तब भगवान ने दो पग में ही सब कुछ नाप लिया। फिर भगवान ने राजा बलि की ओर देखा तोराजा बलि ने कहा, "प्रभु तीसरे पग में आप मुझे नाप लीजिए मेरा संकल्प पूरा हो जाएगा"। भगवान अति प्रसन्न हुए और बोले वरदान मांगो। प्रभु की बात सुनकर राजा बलि की पत्नी ने कहा प्रभु यह सब तो आप ही का था राजा भ्रम में इसे अपना समझ बैठे थे। अच्छा किया आज आपने यह भ्रम तोड़ दिया। भगवान वामन ने राजा बलि को न केवल उनको राज्य दिया बल्कि उनका पहरेदार बनना भी स्वीकार कर लिया।
भक्तों भगवान भक्तों की मर्यादा के आगे अपनी मर्यादा का ख्याल नहीं करते। महाराज श्री ने कथा को आगे बढ़ाते हुए कहा कि नारायण के ना आने पर लक्ष्मी जी बेचैन हो गई और सच्चाई पता चलने पर प्रभु को पुनः वापस लाने के जतन में लग गई। लक्ष्मी जी राजा बलि के मार्ग पर बैठ कर रोने लगी। जब राजा बलि ने कारण पूछा तो उन्होंने बताया कि रक्षाबंधन आ रहा है और मेरा कोई भाई नहीं है। यह बात सुनकर राजा बलि ने उन से राखी बंधवाई और जब बदले में राजा बलि ने कुछ मांगने की बात कही तो लक्ष्मी जी ने उनसे उनके पहरेदार की मांग कर ली। मेरे प्यारे भक्तों दानवीर हो तो राजाबलि जैसा लक्ष्मीपति को त्रिलोक दे दिया और लक्ष्मी को त्रिलोकीनाथ दे दिया।
कथा में आगे पूज्य श्री देवकीनंदन ठाकुर जी महाराज ने एकादशी व्रत की महिमा बताते हुए कहा कि परमात्मा सत्य और व्रत के बिना नहीं मिलते। भगवत प्राप्ति हेतु एकादशी का व्रत करना चाहिए। भगवान नारायण को एकादशी व्रत बहुत प्रिय है। एकादशी व्रत सांसारिक कामना लेकर मत करना। बल्कि अपनी मुक्ति के लिए करना चाहिए।
महाराज श्री ने भगवान के नाम की महिमा बताते हुए कहा कि जब कोई काम नहीं आता तब गोविंद याद आते हैं। गजराज का पैर जब मगर में पकड़ रखा था तब उनके सभी संबंधी उसे छोड़ कर चले गए। गजराज की केवल थोड़ी सी तू ही पानी के ऊपर थी अंत समय में गजराज ने नारायण को पुकारा गजराज केवल गो कहा भगवान प्रकट हो गए और जब तक गोविंद नाम पूरा हुआ भगवान ने सुदर्शन चक्र से ग्राह का वध कर दिया। याद रखना भगवान से संबंध बनाए बिना कोई काम नहीं बनेगा भगवान से रिश्ता जोड़ सांसारिक उत्सव भले छूट जाएं लेकिन भगवान का कोई उत्सव छूटना नहीं चाहिए।
भगवान की कथा चरित्र का निर्माण करती है। उन्होंने कहा कि देश का यह दुर्भाग्य है कि कोर्ट में तो गीता की शपथ दिलाई जाती है, लेकिन हमारे पाठ्यक्रम में गीता और रामायण को अनिवार्य नहीं किया जाता। आज की कथा में भगवान श्री कृष्ण का जन्मोत्सव मनाया गया। रविवार को श्रोताओं का सैलाब उमड़ पड़ा। आयोजन से जुड़े सभी लोग व्यवस्था को बनाये रखने में लगे हुए थे।
।। राधे राधे बोलना पड़ेगा ।।


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