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Showing posts from May, 2018

पुरुषोत्तम मास एवं एकादशी के पावन अवसर पर पूज्य श्री देवकीनंदन ठाकुर जी महाराज ने आज वृन्दावन धाम की परिक्रमा की।

पुरुषोत्तम मास एवं एकादशी के पावन अवसर पर पूज्य श्री देवकीनंदन ठाकुर जी महाराज ने आज वृन्दावन धाम की परिक्रमा की। इस अवसर पर उनके साथ भक्त एवं संस्था के सदस्य भी मौजूद रहे।

पुरूषोत्तम मास के पावन अवसर पर विश्व शांति सेवा चैरिटेबल ट्रस्ट द्वारा वृन्दावन एवं मथुरा में शीतल एवं मीठे जल की प्याऊ लगाकर जल सेवा की जा रही है।

पुरूषोत्तम मास के पावन अवसर पर विश्व शांति सेवा चैरिटेबल ट्रस्ट द्वारा वृन्दावन एवं मथुरा में शीतल एवं मीठे जल की प्याऊ लगाकर जल सेवा की जा रही है। चौरासी कोस परिक्रमा एवं ब्रज दर्शन को आने वाले श्रद्धालुओं को भीषण गर्मी में शीतल जल से राहत प्रदान करने हेतु वृन्दावन परिक्रमा मार्ग, प्रियाकान्त जू मंदिर, छटीकरा मार्ग एवं मथुरा में गोवर्धन चौराहा पर प्याऊ का शुभारम्भ किया गया है। शुक्रवार को संस्था सचिव श्री विजय शर्मा जी ने श्रद्धालुओं को मीठा जल पिलाकर सेवा कार्य किया । भीषण गर्मी में राहगीरों ने अपनी प्यास बुझाते हुये संस्था के सेवा प्रकल्पों की सराहना की । पूज्य महाराज श्री की प्रेरणा से विश्व शांति सेवा चैरिटेबल ट्रस्ट द्वारा समय-समय पर इसी प्रकार के सेवाकार्य किये जाते रहे हैं और आगे भी किये जाते रहेंगे।

पूज्य महाराज श्री के सानिध्य में 18 मई से 24 मई 2018 तक भारत माता मंदिर, विद्यापीठ रोड, कैंट, वाराणसी में आयोजित श्रीमद् भागवत कथा के सप्तम दिवस पर महाराज श्री ने श्रीकृष्ण और सुदामा की मित्रता की सुंदर कथा श्रोताओं को श्रवण कराई। भागवत कथा के सातवें दिन की शुरुआत भागवत आरती और विश्व शांति के लिए प्रार्थना के साथ की गई।

कथा के अंतिम दिन कथा से पूर्व विभिन्न संगठनों द्वारा महाराज श्री को स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया गया। पूज्य देवकीनंदन ठाकुर जी महाराज ने कथा कि शुरूआत करते हुए कहा कि जीवन में दो बाते हैं कि एक तो आप अपने विचारों से लोगों को अच्छा बना सकते हो, दूसरा आप अपने बिचारों से दूसरों को बुरा बना सकते हो। ये आपके उपर निर्भर करता है कि आप चाहते क्या हो और हमें यह चाहत रखनी चाहिए की हमें अपने विचारों से लोगों को अच्छा बनाएं और भगवान की ओर लेकर चलें क्योंकि यह हमारे जीवन का सबसे बड़ा आनन्द भी है। महाराज श्री ने कहा कि काफी युवाओं को यह संदेह होता है कि भगवान को इतने विवाह करने की क्या आवश्यकता पड़ी ? सबसे पहले यह समझ लिजिए भगवान भगवान हैं, उन्हें जगपति कहा जाता है। जगत में जितने लोग हैं उनके पति जगत पति हैं वो सब के पति है और यही बात समझने के लिए गुरू की आवश्यकता होती है। कुछ लोग यह भी कहते हैं कि गुरू की क्या जरूरत है ? रोटी कमाना कौन सिखाता है ? धन कमाना कौन सिखता है ? जो यह सिखाता है कि रोटी कमाने के लिए, धन कमाने के लिए क्या करना पडेगा जो यह सिखाता है वो तुम्हारा गुरू है

पूज्य महाराज जी द्वारा बीती रात काशी की विश्वविख्यात पतित पावनी मां गंगा की भव्य आरती के दर्शन किए एवं मां गंगा की आरती की।

पूज्य महाराज जी द्वारा बीती रात काशी की विश्वविख्यात पतित पावनी मां गंगा की भव्य आरती के दर्शन किए एवं मां गंगा की आरती की।

पूज्य महाराज श्री के सानिध्य में 18 मई से 24 मई 2018 तक भारत माता मंदिर, विद्यापीठ रोड, कैंट, वाराणसी में आयोजित श्रीमद्भागवत कथा के षष्ठम दिवस पर महाराज श्री ने श्री कृष्ण- रूक्मिणी विवाह का सुंदर वर्णन भक्तों को श्रवण कराया।

भागवत षष्ठम दिवस की शुरुआत भागवत आरती और विश्व शांति के लिए प्रार्थना के साथ की गई। कथा शुरू होने से पूर्व आज विश्व शांति मिशन की ओर से सिंगरा में फार्म में करने वाले संजय कुमार सिंह जिनकी किसी कारणवश नौकरी चली गई है, उनकी दो बेटियां जो पढ़ने में बहुत अच्छी है लेकिन पैसे की तंगी की वजह से फीस के पैसे नहीं जूटा पा रहे थे, तो उनकी दो बेटियां की स्कूली शिक्षा में रूकावट ना हो इसके लिए मिशन की ओर से सकारात्मक कदम उठाते हुए, दोनों बेटियों को पूरे एक साल के पढ़ाई के खर्चे की राशि प्रदान की गई ताकि वो अपने उज्जवल भविष्य की ओर कदम बढ़ा सकें । पूज्य देवकीनंदन ठाकुर जी महाराज ने कथा कि शुरूआत करते हुए कहा कि जब अपनी पूजा कराने का शौक चढ़ जाए और पूजा ना हो तो गुस्सा आना स्वाभाविक है। हम हमेशा कहते हैं किसी जीव की पूजा मत करो जीव के चरित्र की पूजा करो। गुरू वो नहीं है जो अपने आप को पूजवाने की बात करता हो बल्कि गुरू वो है जो भगवान की शरणागति प्राप्त करवाता हो। भगवान भजन और सतकर्मों से मिलते हैं। उन्होंने कहा कि वैसे तो हम गुरू से बहुत उम्मीद रखते हैं लेकिन गुरू के बताए हुए मार्ग

भगवान शिव की नगरी काशी में पूज्य महाराज श्री के सानिध्य में 18 मई से 24 मई 2018 तक भारत माता मंदिर, विद्यापीठ रोड, कैंट, वाराणसी में आयोजित श्रीमद् भागवत कथा के पंचम दिवस पर महाराज श्री ने पुतना उद्धार एवं श्री कृष्ण की बाल लीलाओं का सुंदर वर्णन भक्तों को श्रवण कराया।

भागवत कथा के पांचवे दिन की शुरुआत भागवत आरती और विश्व शांति के लिए प्रार्थना के साथ की गई। कथा प्रारम्भ से पूर्व आज पूज्य देवकीनंदन ठाकुर जी महाराज को काशी विद्वत परिषद द्वारा “सनातन धर्म संरक्षक” की उपाधी से सम्मानित किया गया। इस उपाधी को प्रदान करने के लिए काशी विद्वत परिषद के महामहोपाध्याय प्रो० रामयत्न शुक्ल जी, महामंत्री पूर्व कुलपति संपूर्णानंद विश्वविद्यालय प्रोफेसर शिव जी उपाध्याय, प्रवक्ता प्रो० दिनेश कुमार गर्ग, मंत्री प्रो० राम नारायण द्विवेदी, डॉ०ब्रज भूषण ओझा, पश्चिमी भारत के प्रभारी कार्ष्णि नागेंद्र महाराज, आचार्य राकेश महाराज पराशर, आचार्य दीपक मालवीय, प्रोफेसर हरप्रसाद दीक्षित एवx अन्य विद्वत समाज के सम्मानित व्यक्ति उपस्थित थे। देवकीनंदन ठाकुर जी महाराज ने कथा कि शुरूआत करते हुए कहा कि जब प्रभु की कृपा जीव पर होती है तब उन्हे श्रीमद्भागवत कथा श्रवण करने का सौभाग्य प्राप्त होता है और जब अवरणीय सतगुणों का जब संग्रह होता है तब जीव श्रीमद्भागवत कथा करवाने के लिए प्रयत्नशील होता है। महाराज जी ने कल के कथा क्रम को याद दिलाते हुए कहा कि भगवान प्रकट क्यों होते

आज पूज्य महाराज श्री को काशी विद्वत परिषद द्वारा “सनातन धर्म संरक्षक” की उपाधी से सम्मानित किया गया।

आज पूज्य महाराज श्री को काशी विद्वत परिषद द्वारा “सनातन धर्म संरक्षक” की उपाधी से सम्मानित किया गया। इस उपाधी को प्रदान करने के लिए काशी विद्वत परिषद के महामहोपाध्याय प्रो० रामयत्न शुक्ल जी, महामंत्री पूर्व कुलपति संपूर्णानंद विश्वविद्यालय प्रोफेसर शिव जी उपाध्याय, प्रवक्ता प्रो० दिनेश कुमार गर्ग, मंत्री प्रो० राम नारायण द्विवेदी, डॉ०ब्रज भूषण ओझा, पश्चिमी भारत के प्रभारी कार्ष्णि नागेंद्र महाराज, आचार्य राकेश महाराज पराशर, आचार्य दीपक मालवीय, प्रोफेसर हरप्रसाद दीक्षित एवं अन्य विद्वत समाज के सम्मानित व्यक्ति उपस्थित थे।

आज प्रातः महाराज श्री ने काशी दशाश्वमेध घाट पर गंगा स्नान किया।

आज प्रातः महाराज श्री ने काशी दशाश्वमेध घाट पर गंगा स्नान किया। उसके बाद मणिकर्णिका घाट पर स्थित सतुआ बाबा जी के आश्रम पर गए एवं श्री सतुआ बाबाजी के साथ बाबा विश्वनाथ जी के दर्शन एवं अभिषेक किया तथा अंत में काशी विद्दुत परिषद में जाकर श्री रामयत्न शुक्ल जी का सम्मान किया। इस अवसर पर कार्ष्णि नागेंद्र जी महाराज एवं एस.के.सेठ, अयोध्या प्रसाद सेठ, नारायण सेठ, विजय शर्मा, श्याम सुंदर शर्मा, एच.पी अग्रवाल, अंतरिक्ष शुक्ला आदि सम्मानित गण मौजूद थे।

भगवान शिव की नगरी काशी में पूज्य महाराज श्री के सानिध्य में 18 मई से 24 मई 2018 तक भारत माता मंदिर, विद्यापीठ रोड, कैंट, वाराणसी में आयोजित श्रीमद् भागवत कथा के चतुर्थ दिवस पर महाराज श्री ने प्रभु के वामन अवतार के वृतांत का विस्तार पूर्वक वर्णन भक्तों को करवाया एवं कृष्ण जन्मोत्सव को बड़ी धूमधाम से मनाया।

भागवत कथा के चतुर्थ दिवस की शुरुआत भागवत आरती और विश्व शांति के लिए प्रार्थना के साथ की गई। कथा के चतुर्थ दिवस पर पाताल पूरी के पीठाधीश्वर पूज्य बालक दास जी महाराज जी ने कथा पंडाल में अपनी गरिमामयी उपस्थिति दर्ज करवाई एवं व्यास पीठ से आशीर्वाद प्राप्त किया। पूज्य देवकीनंदन ठाकुर जी महाराज ने कथा कि शुरूआत करते हुए कहा कि यह मानव शरीर दुर्लभ है, देवताओं के लिए दो चीजे दुर्लभ हैं जो हमारे लिए सुलभ हो गई हैं। उनके लिए मानव शरीर दुर्लभ है हमे वो प्राप्त है, उनके लिए कथा दुर्लभ है हमे वो भी प्राप्त हो गई। महाराज जी ने एक कथा सुनाते हुए कहा कि एक बार ब्रह्मा जी को अहंकार हो गया यहां जो कुछ कर रहे हैं हम कर रहे हैं, ये हर किसी को हो जाता है। हर घर का मुखिया सोचता है की मैं इस घर में नहीं होता तो इस घर का पालन पोषण नहीं होता। ब्रह्मा जी ने सोचा की जो कर रहे हैं हम कर रहे हैं हमे ओर मान सम्मान मिलना चाहिए। वो नारायण भगवान के पास गए और बोले हम ब्रह्मा जी के पद से हटना चाहते हैं, तो नारायण भगवान जी ने कहा की जैसा आप को सही लगे। वहां से ब्रह्मा जी निकले तो एक रेगिस्तान में पहुंचे और

भगवान शिव की नगरी काशी में पूज्य महाराज श्री के सानिध्य में 18 मई से 24 मई 2018 तक भारत माता मंदिर, विद्यापीठ रोड, कैंट, वाराणसी में आयोजित श्रीमद् भागवत कथा के तृतीय दिवस पर महाराज श्री ने भागवत कथा में बताया की जिस व्यक्ति की मृत्यु सातवें दिन हो उसको क्या करना चाहिए ? इस वृतांत का विस्तार से वर्णन किया।

भागवत कथा के तीसरे दिन की शुरुआत भागवत आरती और विश्व शांति के लिए प्रार्थना के साथ की गई। पूज्य देवकीनंदन ठाकुर जी महाराज ने कथा कि शुरूआत करते हुए कहा कि जब आप कुछ अच्छा करने जाते हो तो कुछ ना कुछ सवाल आपसे पुछे जरूर जाते हैं, क्यों जा रहे हो ? यही कर लेतें ? लेकिन याद रखना अच्छे कार्य के लिए कभी सोचना नहीं चाहिए। महाराज जी ने एक शायरी करते हुए कहा कि  जिन्दगी ने कई सवालात कर डाले, वक्त ने मेरे हालात बदल डाले। मैं तो आज भी वहीं हूं जो पहले था, बस मेरे लिए लोगों ने अपने ख्यालात बदल डाले।। इसलिए जब भी कहीं जाओ अच्छा काम करने के लिए और उसके बावजूद भी लोग आपसे सवाल पूछे तो फिक्र मत करो बस चलते जाओ। उन्होंने अभी विचार बदले हैं, फिर आकर आपके साथ मिल जाएंगे लेकिन अच्छे काम के लिए आप अपने विचार मत बदलिए। आप अच्छे कार्य करते रहोगे तो गोविंद आपके साथ में रहेंगे। महाराज जी ने कहा कि हम सब की जिंदगी सात दिन की है। पता नहीं कब बुलावा आ जाए और हमें जाना पड़े, इसलिए जीवन में किसी को दुख मत दो। जो दुसरों के दुख को समझता है वो मानव है और जो दुसरे के दुख को बढ़ा दे वही राक्ष
पूज्य देवकीनंदन ठाकुर जी महाराज ने कथा कि शुरूआत करते हुए कहा कि जब से सृष्टि का सृजन हुआ है तब से काशी का उल्लेख हमारे शास्त्रों में है, यहां बाबा भोलेनाथ स्वयं विराजमान होते हैं। ये सांस्कृतिक आध्यात्मिक राजधानी है। पूरे ब्रह्माण्ड में जो ज्ञान का दर्शन होता है वो काशी की कृपा से हो रहा है।  महाराज जी ने कहा कि खूब यहां अपने पन की रित निभाई अपनो ने”, यही संसार है यह किसी का नहीं है, इस संसार में कोई किसी का है तो वो सिर्फ परमात्मा है। परमात्मा से रिश्ता जोड लो तर जाओगे। इस संसार में कोई किसी को दुख नहीं देता है, अगर कोई दुख देता है तो वो तुम्हारी आशा है, जो तुम किसी से उम्मीद करते हो आशा रखते हो वो दुख देती है। इसलिए हमारे संतो ने कहा था “आशा एक राम जी से दूजी आशा छोड़ दे, नाता रख एक राम जी से दूजा नाता तोड़ दे, सुख दुख हानि लाभ सब मिल सहिए, जाई विध राखे राम ताई विधि रहिये”। ये कलयुग है यहां सब त्रस्त्र है, मस्त वो है जो राम के हो गए और त्रस्त वो है जो राम के हो गए।  देवकीनंदन ठाकुर जी महाराज ने कथा का वृतांत सुनाते हुए कहा की श्रीकृष्ण दुखी है की इस कलयुग के व्यक्ति क

भगवान शिव की नगरी काशी में पूज्य महाराज श्री के सानिध्य में 18 मई से 24 मई 2018 तक भारत माता मंदिर, विद्यापीठ रोड, कैंट, वाराणसी में आयोजित श्रीमद् भागवत कथा के प्रथम दिवस पर महाराज श्री ने भागवत कथा के महात्यम का सुंदर वर्णन भक्तों को श्रवण कराया।

भागवत कथा के प्रथम दिवस की शुरुआत दीप प्रज्जवलन, भागवत आरती और विश्व शांति के लिए प्रार्थान के साथ की गई। महाराज जी द्वारा वाराणसी में हुए पुल हादसे के मृतकों को श्रद्धांजली देते हुए बाबा भोलेनाथ से प्रार्थना करते हुए दिवंगत आत्माओं की शांति के लिए कथा के दौरान 1 मिनट का मौन रखा गया। महाराज जी ने भगवान भोले नाथ से प्रार्थना कि की दिवंगत आत्माओं को प्रभु अपने चरणों में शरण दें। देवकीनंदन ठाकुर जी महाराज ने कथा की शुरुआत भागवत के प्रथम श्लोक उच्चारण “सच्चिदानन्द रूपाय विश्वोत्पत्यादि हेतवे तापत्रय विनाशाय श्री कृष्णाय वयम नुमः” से की। उन्होंने कहा कि भागवत के प्रथम श्लोक में वर्णन किया गया है त्रिकालों का, देहिक, दैविक, भौतिक। ये तीन प्रकार के ताप है दैहिक देह के द्वारा, दैविक देवताओं के द्वारा, भौतिक समाज के द्वारा दिया हुआ सुख हो या दुख हो और इन तीन तापों से जीव ग्रसित रहता है। इन त्रितापों को जन्म देने वाले, पोसित करने वाले, संहार करने वाले सच्चिदानंद परमपिता परमात्मा है। महाराज जी ने कहा कि पूरे विश्व का ध्यान रखने वाले बाबा भोलेनाथ से बड़ा कथा का प्रेमी कोई नहीं है, न