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Showing posts from February, 2018

SHRIMAD BHAGWAT KATHA || Day -6 || || VRINDAVAN ||

SHRIMAD BHAGWAT KATHA || Day -6 || || VRINDAVAN ||

पूज्य महाराज श्री के सानिध्य में 22 फरवरी से 1 मार्च 2018 तक शांति सेवा धाम, वृन्दावन में आयोजित होली महोत्सव कार्यक्रम के अंतर्गत 108 श्रीमद भागवत कथा के षष्ठम दिवस पर महाराज श्री ने भागवत में आज रासपंचाध्यायी, श्री कृष्ण - रुक्मणि विवाह का सुन्दर वृतांत विस्तार से वर्णन किया और सुन्दर भजनो का भक्तों को श्रवण कराया।

" जिस प्रकार पेड़ का स्वभाव फल देना, छांव देना होता है उस ही तरह संत का स्वभाव अपने बालकों पर दया करना होता है |" श्रीमद् भागवत कथा के षष्टम दिवस पूज्य श्री देवकीनंदन ठाकुर जी महाराज ने कथा की शुरुआत करते हुए कहा की अपने शिशुओं का संरक्षण करना, उनकी देखभाल करना, उन्हें संस्कारवान बनाना, उन्हें आगे बढ़ाना यही बड़ो का बडप्पन है। बड़े तो पेड़ भी होते है लेकिन जो फल नहीं देता उसको तो हम सम्मान भी नहीं देते, सम्मान योग्य वही है जो फल भी दे, छांव भी दे, इस ही तरह माता - पिता का भी यह कर्तव्य है की वो बालक को केवल जन्म ही न दे अपितु उन्हें संस्कारवान भी बनाये। आज कलयुग में संस्कार की ही कमी दिखाई पड़ती है जो हमारे बच्चो को चारित्रिक पतन की और ले जारही है। ऐसे में संस्कार और प्रभु की भक्ति द्वारा बच्चों को नैतिकता की और ले चले। महाराज जी ने कहा की वृंदावन की भूमि प्रेम की खान है। सोने की खान में सोना मिलेगा, कोयले की खान में कोयला मिलेगा, हीरे की खान में हीरा मिलेगा वैसे ही प्रेम की खान में आ जाओ तो ठाकुर का प्रेम मिलेगा। उन्होंने कहा की अगर कहीं भक्ति महारानी सशरीर द

SHRIMAD BHAGWAT KATHA || Day -5 || || VRINDAVAN ||

SHRIMAD BHAGWAT KATHA || Day -5 || || VRINDAVAN ||

पूज्य महाराज श्री के सानिध्य में 22 फरवरी से 1 मार्च 2018 तक शांति सेवा धाम, वृन्दावन में आयोजित होली महोत्सव कार्यक्रम के अंतर्गत 108 श्रीमद भागवत कथा के पंचम दिवस पर महाराज श्री ने भागवत में आज पूतना वध और श्री कृष्ण की बाल लीलाओं का सुन्दर वृतांत विस्तार से वर्णन किया और सुन्दर भजनो का भक्तों को श्रवण कराया।

मन को साफ़ रखो, मर्यादा का पालन करों तो वृंदावन मे गोविंद की कृपा का अनुभव होगा। पूज्य महाराज श्री ने कथा का प्रारम्भ करते हुए कहा की हम लोग ही बहुत ही भाग्यवान है क्योंकि हमे सब तरह के अंगों से भगवान ने संपन्न किया हुआ है। भगवान ने हमको हाथ, पैर, आँख, नाक, दिमाग सभी कुछ दिया हुआ है। मेरे ठाकुर जी ने हमको इतनी सुन्दर जिंदगी दी है। तो हमको उनके इस वरदान को कभी भी नहीं भूलना चाहिए। इस मानव योनि को प्राप्त करने के बाद भी अगर मानव मेरे प्रभु को याद न करे तो हमसे बड़ा आत्मघाती या पापी इस दुनिया में और कोई नहीं है। महाराज श्री ने कहा कि भगवान ने हर व्यक्ति को अपनी एक अलग ही समझ दी है। उसी के अनुसार ही हर व्यक्ति अपनी क्षमता के अनुसार ही हर कार्य को करता है। कई अपनी समझ से अपने हर कार्य को भगवान की इच्छा मानकर ही करते है और सदा ही स्वच्छ मन से कार्य को करते है ताकि उनसे कोई भी गलती न हो और कुछ लोग अपने गंदे विचारो से ही कार्य को करते है और उन्ही में सदैव लिप्त रहते है। वो अच्छे और बुरे का फर्क नहीं समझते है। हमको तो सदा ही अच्छे और बुरे का फर्क लेकर ही भगवान की भक्ति को करते

SHRIMAD BHAGWAT KATHA || Day -4 || || VRINDAVAN

SHRIMAD BHAGWAT KATHA || Day -4 || || VRINDAVAN

पूज्य महाराज श्री के सानिध्य में 22 फरवरी से 1 मार्च 2018 तक शांति सेवा धाम, वृन्दावन में आयोजित होली महोत्सव कार्यक्रम के अंतर्गत 108 श्रीमद भागवत कथा के चतुर्थ दिवस पर महाराज श्री ने भागवत में वामन अवतार, अजामिल कथा,भगवान् श्री कृष्ण का जन्मोत्सव आदि का वृतांत विस्तार से वर्णन किया और सुन्दर भजनो का भक्तों को श्रवण कराया।

" प्रभु की विशेष कृपा होती है तब पापों का नाश करने के लिए भागवत कथा प्राप्त होती है। " पूज्य महाराज श्री ने कथा की शुरुआत करते हुए कहा क ी प्रभु की असीम अनुकम्पा का दर्शन यह है की हम सभी श्री वृन्दावन धाम में है और ये ही नहीं प्रियकांत जू की कथा उन्ही के प्रांगड़ में बैठ कर सुनने का सौभाग्य आप सभी भक्तो को प्राप्त हो रहा है। निश्चित ही कुछ पाप ऐसे होते है जो हमे अच्छे कर्मो से , भगवान की कथा से दूर करते है। और कुछ विशेष कृपा जब प्रभु की होती है तो हमारे पापो को नष्ट करने का प्रयास किया जाता है और वह भागवत कथा के माध्यम से होता है चुतर्थ दिवस की कथा का वृतांत में महाराज श्री ने भगवान श्री कृष्ण के प्राक्ट्य की कथा सुनाई मथुरा नगरी में राजा उग्रसेन जिनका एक पुत्र था कंस जो अपनी बहन देवकी को जब विवाह के बाद विदा करने जा रहे थे तो रस्ते में आकाशवाणी हुई की हे कंस तू जिस बहन को इतने आदर के साथ विदा कर रहा है उसीका आठवाँ पुत्र तेरा काल होगा इतना सुनते ही कंस ने देवकी के केश पकडे और रथ से नीचे उतर लिया। और देवकी से बोला की जब तू ही नहीं होगी तो तेरा पुत्र कैसे

SHRIMAD BHAGWAT KATHA || Day -3 || || Vrindavan

SHRIMAD BHAGWAT KATHA || Day -3 || || Vrindavan

पूज्य महाराज श्री के सानिध्य में 22 फरवरी से 1 मार्च 2018 तक शांति सेवा धाम, वृन्दावन में आयोजित होली महोत्सव कार्यक्रम के अंतर्गत 108 श्रीमद भागवत कथा के द्वितीय दिवस पर महाराज श्री ने भागवत में अमर कथा का एवं शुकदेव जी का जन्म का वृतांत विस्तार से वर्णन किया और सुन्दर भजनो का भक्तों को श्रवण कराया।

आज श्रीमद भागवत कथा के द्वितीय दिवस पर हरियाणा के मुख्यमंत्री श्री मनोहर लाल खट्टर जी एवं उत्तर प्रदेश सरकार में कैबिनेट मंत्री रीता बहुगुणा जोशी जी ने कथा पंडाल में पहुंच कर कथा का रसपान किया एवं महाराज जी से आशीर्वाद प्राप्त किया। कथा श्रवण करने आए भक्तो से महाराज जी ने कहा की कथा को कभी भी फल प्राप्ति के लिए ही नहीं सुनना चाहिए, फल तो मिलेगा ही, कथा का श्रवण मेरे चित्त में मेरे प्रभु के अलावा कोई ओर ना हो इसके लिए कथा सुननी चाहिए। कथा प्रभु के स्वभाव को बताती है। महाराज जी ने कथा सुनने आएं श्रोताओं से कहा की कथा स्थल पर आने की जल्दी करो लेकिन यहां से जाने की कभी जल्दी मत करो। महाराज जी ने कहा की अगर जीव के मन में बस भागवत कथा सुनना है का भाव भी आ जाए तो प्रभु उनके ह्रदय में कैद हो जाते हैं और सच्चे श्रोताओं को इसका अनुभव भी होता है। महाराज जी ने कहा की कथा सुनने की एक ही शर्त है इसे नियम से सुना जाए। महाराज जी ने मोबाइल से होने वाले नुकसानों के बारे में भी बताया। महाराज जी ने कहा की आज के दौर में बच्चो की याददाशत कमजोर होती जा रही है, उसका सबसे बड़ा कारण है मोबा

SHRIMAD BHAGWAT KATHA || Day - 2 || || Vrindavan

SHRIMAD BHAGWAT KATHA || Day - 2 || || Vrindavan

पूज्य महाराज श्री के सानिध्य में 22 फरवरी से 1 मार्च 2018 तक शांति सेवा धाम, वृन्दावन में आयोजित होली महोत्सव कार्यक्रम के अंतर्गत 108 श्रीमद भागवत कथा के प्रथम दिवस पर महाराज श्री ने भागवत के महात्यम का विस्तार से वर्णन किया और सुन्दर भजनो का भक्तों को श्रवण कराया।

सर्वप्रथम महाराज श्री ने विश्व शांति के लिए ठाकुर जी से प्रार्थना की और उसके बाद भागवत कथा में प्रवेश किया। महाराज जी ने भागवत के प्रथम श्लोक का पाठ किया " सच्चिदानन्दरूपाय विश्वोत्पत्त्यादिहेतवे। तापत्रयविनाशाय श्रीकृष्णाय वयं नुम:।। " महाराज श्री ने बताया की भागवत में आने से हमे सभी तीर्थो का पुण्य प्राप्त हो जाता है। क्योकि जहाँ भागवत कथा होती है वहां सभी पवित्र नदिया , सभी देवता , सारे तीर्थ वास करते है। और कथा पंडाल में आकर भागवत सुनने मात्रा से ही हमे सभी तीर्थो का पुण्य लाभ हमको प्राप्त हो जाता है। पूर्व के युगो में जो हजारों वर्षो की तपस्या करके भगवान की प्राप्ति होती थी। परन्तु कलियुग में केवल नाम संकीर्तन व कथा श्रवण मात्र से ही मनुष्य को ईश्वर की प्राप्ति हो जाती है। प्रत्येक पुराण में कलियुग के प्राणियों के लिए चिंता वयक्त की, कि किस प्रकार कलयुगी मनुष्य का उद्धार हो कारण बस इतना है की आज का मानव धर्म को सर्वोपरि नहीं धन को सर्वोपरि मानता है भागवत नाम उच्चारण करने से सारे पाप नष्ट हो जाते है। अब प्रश्न ये उठता है की बात कौन गारंटी देगा तो मै

SHRIMAD BHAGWAT KATHA || Day - 1 || || Vrindavan

SHRIMAD BHAGWAT KATHA || Day - 1 || || Vrindavan

SHRIMAD BHAGWAT KATHA || Day - 7 || KARNAL HARYANA ||

SHRIMAD BHAGWAT KATHA || Day - 7 || KARNAL HARYANA ||

पूज्य महाराज श्री के सानिध्य में 14 से 20 फरवरी 2018 तक हुड्डा ग्राउंड न. 1, करनाल (हरियाणा) में आयोजित श्रीमद भागवत कथा के सप्तम दिवस पर महाराज श्री ने कंस वध, उद्धव चरित्र एवं भगवान श्री कृष्ण और रुक्मणि जी के विवाह का सुन्दर वर्णन सभी भक्तों को सुनाया।

" अपने कर्मो को हमेशा सही रखना तो ईश्वर सदैव आपका हाथ थामे रखेगा।" राजा परीक्षित को की भागवत का ज्ञान सुनने के वो स्वयं अपनी मृत्यु का इंतज़ार कर रहे है। उनको अब काल का यानि तक्षक का कोई भय नहीं रहा। जिसने जन्म लिया है वो मृत्यु को प्राप्त होगा ही। प्रत्येक जीव के जन्म से पहले ही उसकी मृत्यु का समय , स्थान और कारन ये निश्चित हो जाता है। कथा के क्रम को आगे बढ़ाया और बताया की रुक्मणि और भगवान् श्याम सुन्दर का विवाह हुआ और उनका प्रथम पुत्र को जन्म होते ही एक संभरासुर नामक राक्षस उठा ले गया क्योकि उसको पता था की श्री कृष्ण का प्रथम पुत्र उसकी मृत्यु का कारन होगा। तो वो प्रद्युम्न समुद्र में फेक देता है वहां एक मछली उसको निगल जाती है और वो फिर संभरासुर की रसोई में ही पहुँच जाती है और उसका पालन पोषण काम देव की पत्नी ने स्वयं माँ की तरह कर उसको बड़ा किया। प्रद्युम्न कामदेव का जी जन्म है और ये पहली पत्नी थी जिसने अपने पति को माँ की तरह पला। जब प्रद्युम्न बड़े हुए तो संभरासुर का वध कर के द्वारिका को पत्नी सहित प्रस्थान किया। महाराज श्री ने आगे कहा कि पुराणों की कथ

SHRIMAD BHAGWAT KATHA || Day - 6 || KARNAL HARYANA ||

SHRIMAD BHAGWAT KATHA || Day - 6 || KARNAL HARYANA ||

पूज्य महाराज श्री के सानिध्य में 14 से 20 फरवरी 2018 तक हुड्डा ग्राउंड न. 1, करनाल (हरियाणा) में आयोजित श्रीमद भागवत कथा के षष्ठम दिवस पर महाराज श्री ने कंस वध , उद्धव चरित्र एवं भगवान श्री कृष्ण और रुक्मणि जी के विवाह का सुन्दर वर्णन सभी भक्तों को सुनाया।

महाराज जी ने कथा की शुरुआत करते हुए कहा की आजकल डॉक्टर पैदा होते है, इंजिनियर पैदा होते है लेकिन देशभक्त पैदा नहीं होते। उन्होंने कहा की जो देशभक्त पैदा होते भी है झंडा लेकर चलते भी है तो लोग उन्हे गोली मार देते हैं। महाराज श्री ने कहा की मैं उन माताओ को प्रणाम करता हूँ, जो देश के लिए बलिदान देने वाले पुत्रों को जन्म देती हैं। महाराज जी ने कहा की सात दिन लगातार जो भी व्यक्ति कथा का श्रवण करता है उसके जीवन में बदलाव जरुर आते हैं इस बात की गारंटी है। महाराज जी ने युवाओं से कहा कि कथा का श्रवण जरुर करें क्योंकि जो आप अभी सीखेंगे वहीं आपके आने वाली पीढ़ी में जाएगा और कोई भी व्यक्ति ये नहीं चाहेगा की उसका बेटा धर्मात्मा ना बने। सरकार कहती है की बेटी पढ़ाओ बेटी बचाओं लेकिन मैं कहता हूँ की बेटी पढ़ाओ, बेटी बचाओं लेकिन पहले बेटों का संस्कारी बनाओं। महाराज ने कहा की माता पिता को अपने बच्चों को चरित्र का उपदेश देना चाहिए। "बिना साधना के प्रभु का सानिध्य नहीं।" श्रीमद् भागवत कथा के षष्टम दिवस पूज्य श्री देवकीनंदन ठाकुर जी महाराज ने कहा कि बिना साधना के भगवान का सानिध्य

SHRIMAD BHAGWAT KATHA || Day - 5 || KARNAL HARYANA ||

SHRIMAD BHAGWAT KATHA || Day - 5 || KARNAL HARYANA ||

पूज्य महाराज श्री के सानिध्य में 14 से 20 फरवरी 2018 तक हुड्डा ग्राउंड न. 1, करनाल (हरियाणा) में आयोजित श्रीमद भागवत कथा के चतुर्थ दिवस पर महाराज श्री ने भागवत कथा में वामन अवतार एवं श्री कृष्ण जन्मोत्सव का सुन्दर वर्णन विस्तार से किया।

पूज्य महाराज श्री ने कथा प्रारम्भ करते हुए बताया कि वामन अवतार भगवान विष्णु के दशावतारो में पांचवा अवतार और मानव रूप में अवतार था। जिसमें भगवान विष्णु ने एक बौने के रूप में इंद्र की रक्षा के लिए धरती पर अवतार लिया। वामन अवतार की कहानी असुर राजा महाबली से प्रारम्भ होती है। महाबली प्रहलाद का पौत्र और विरोचना का पुत्र था। महाबली एक महान शासक था जिसे उसकी प्रजा बहुत स्नेह करती थी। उसके राज्य में प्रजा बहुत खुश और समृद्ध थी। उसको उसके पितामह प्रहलाद और गुरु शुक्राचार्य ने वेदों का ज्ञान दिया था। समुद्रमंथन के दौरान जब देवता अमृत ले जा रहे थे तब इंद्रदेव ने बलि को मार दिया था जिसको शुक्राचार्य ने पुनः अपन मन्त्रो से जीवित कर दिया था। महाबली ने भगवान ब्रह्मा को प्रसन्न करने के लिए तपस्या की थी जिसके फलस्वरूप भगवान ब्रह्मा ने प्रकट होकर वरदान मांगने को कहा। महाबली भगवान ब्रह्मा के आगे नतमस्तक होकर बोला “प्रभु, मै इस संसार को दिखाना चाहता हूँ कि असुर अच्छे भी होते हैं। मुझे इंद्र के बराबर शक्ति चाहिए और मुझे युद्ध में कोई पराजित ना कर सके।" भगवान ब्रह्मा ने इन शक्तियों के

करनाल के हुड्डा ग्राउंड नंबर 1 सुपर मॉल, नजदीक हुड्डा कार्यालय, में विश्व शांति सेवा चेरिटेबल ट्रस्ट के तत्वाधान में कथा वाचक पूज्य श्री देवकीनंदन ठाकुर जी महाराज के मुखारबिंद से श्रीमद् भागवत कथा का आयोजन किया जा रहा है। पंचम दिवस पर महाराज श्री ने पूतना उद्धार एवं श्री कृष्ण की बाल लीलाओं का सुंदर वर्णन भक्तों को श्रवण कराया।

भागवत कथा के पांचवे दिन की शुरुआत भागवत आरती और विश्व शांति के लिए प्रार्थना के साथ की गई।आज कथा में मुख्य अतिथि के तौर पर लिबर्टी के एम्.डी श्रीमान शम्मी बंसल जी ने अपनी उपस्थिति दर्ज कराई और पंचम दिवस की कथा का रसपान किया। देवकीनंदन ठाकुर जी महाराज ने कथा की शुरुआत करते हुए कहा की हम अगर संस्कारी बनेंगे तो हमारे बच्चे भी संस्कारी बनेंगे और अगर हम अपने धर्म का सम्मान करेंगे तो आने वाली पीढ़ी भी धर्म का सम्मान करेगी। महाराज श्री ने बताया की अगर धर्मं के ऊपर कोई उपकार करना चाहते हो तो अपनी आने वाली पीढ़ी को ऐसे संस्कार दे कर जाए की वो आपके इस दुनिया से जाने के बाद भी हमारे घरो में रोजाना पूजा होती रहे भगवान् की आरती होती रहे भगवान् को भोग लगता रहें, क्यूंकि घर केवल ईंट-पत्थर का नहीं होता हैं। घर को घर बनाने में हमारे परिवार का बड़ा हाथ होता हैं घर- भवन वही होते हैं जहाँ संतो का आना- जाना हो और भजन सिमरन होता रहें। महाराज जी ने बताया की हमें लड़को को अच्छे संस्कार देने चाहिए क्यूंकि आज के समय में लड़को से ज्यादा फ़िक्र अपने माँ बाप की "लड़की" को होती हैं। एक कहानी

SHRIMAD BHAGWAT KATHA || Day - 4 || KARNAL HARYANA ||

SHRIMAD BHAGWAT KATHA || Day - 4 || KARNAL HARYANA ||

SHRIMAD BHAGWAT KATHA || Day - 3 || KARNAL HARYANA ||

SHRIMAD BHAGWAT KATHA || Day - 3 || KARNAL HARYANA ||

पूज्य महाराज श्री के सानिध्य में 14 से 20 फरवरी 2018 तक हुड्डा ग्राउंड न. 1, करनाल (हरियाणा) में आयोजित श्रीमद भागवत कथा के तृतीय दिवस पर महाराज श्री ने भागवत कथा में बताया की जिस मनुष्य की मृत्यु सातवें दिन हो उसको क्या करना चाहिए ? इस वृतांत का विस्तार से वर्णन किया।

जब तक भगवान् की कृपा नहीं होती तब तक हमे भागवत सुनने का सौभाग्य भी प्राप्त नहीं होता। हम जीवन में हर छोटी - छोटी बात की योजना बनाते है। जैसे - खाना क्या है ? पढ़ना क्या है , कमाना कैसे है , परिवार कैसे चलाये आदि पर ये जीवन जो परमात्मा ने हमे दिया है हम उसको वास्तव में कैसे जीये ये योजना नहीं बनाते। भौतिक जीवन की योजना में असली जीवन के उदेश्य को भूले बैठे है। आप अपने जीवन के असली उदेश्य को जाने और आज से जब तक आपका जीवन है भगवान की कृपा पाने के लिए प्रयास करे। क्योकि मानव जीवन का असली उदेश्य केवल परमपिता परमात्मा को पाना ही है। महाराज जी सुन्दर भजन से भगवान की स्तुति की और कल का कथा क्रम याद कराया की जी वयक्ति को यहाँ पता चल जाये की उसकी मृत्यु सातवें दिन हो वो क्या करेगा क्या सोचेगा ? राजा परीक्षित ने यह जान कर उसी क्षण अपना महल छोड़ दिया। पर आज तो आपको यह भी नहीं मालूम की आपकी मृत्यु कब होगी , मृत्यु तो निश्चित है पर कब ये आपको नहीं पता तो आप जीवित रहते हुए अपने समय को क्यों बर्बाद करते हो। मानव जीवन सबसे श्रेष्ठ है क्योकि इसमें हमे नाम सुमिरन करने का मार्ग उपलब्ध होता ह

पूज्य महाराज श्री के सानिध्य में 14 से 20 फरवरी 2018 तक हुड्डा ग्राउंड न. 1, करनाल (हरियाणा) में आयोजित श्रीमद भागवत कथा के द्वितीय दिवस पर महाराज श्री ने भागवत में भगवान शिव द्वारा सुनाई गई अमर कथा का विस्तार से वर्णन किया।

“गीता ना सिर्फ हमे गोविंद का बनाती है बल्कि हमें जीवन जीना सीखाती है" महाराज श्री ने कथा की शुरुआत करते हुए कहा की संतो के आशिर्वाद रुपी वृक्ष के नीचे जो विराजमान हो जाते हैं वो देश, जाति, धर्म भूलकर एक ही परिवार के नजर आते हैं और कृष्ण की कथा और संतो के मुख से निकली बाते भगवान के दर्शन तो कराते ही है साथ ही इस लायक बना देते ही की परमात्मा भी उस जीव के बिना फिर रह नहीं पाते हैं।गीता ना सिर्फ हमे गोविंद का बनाती है बल्कि हमें जीवन जीना सीखाती है। उन्होंने कहा की गीता ना सिर्फ हिंदूओं का ग्रंथ है बल्कि गीता पूरे मानव जाती का ग्रंथ है जिसने गीता को अपना लिया है वो पूरे जीवन में विजयी हो गया है। भागवत में कहा गया है जो फल हमें कल्प वृक्ष से नहीं मिल सकता वो फल हमें गुरु कृपा से मिल सकता है। अगर परमात्मा का साक्षात्कार करना है तो उसके लिए गुरू कृपा आवश्यक है। संत वहीं होता है जो गोविंद से मिलाता है। जितने भी हमारे ग्रंथ है वो हमें भगवान से मिलाते हैं। आपका विश्वास उन संतों में होना चाहिए वो आपको हरि से मिलाए।भागवत का फल इतना है की सात दिनों तक सच्चे मन से इसका श्रवण