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Showing posts from June, 2018

पूज्य महाराज श्री के सानिध्य में 21 जून से 27 जून 2018 तक सोनाराम प्लेग्राउण्ड, ए.टी रोड, भरलुमुख, गुवाहाटी, असम में आयोजित श्रीमद्भागवत कथा के सप्तम दिवस पर महाराज श्री ने श्रीकृष्ण-रूकमणी विवाह और सुदामा की मित्रता की सुंदर कथा श्रोताओं को श्रवण कराई।

श्रीमद् भागवत कथा के सप्तम दिवस की शुरुआत भागवत आरती और विश्व शांति के लिए प्रार्थना के साथ की गई। श्रीमद्भागवत कथा के सप्तम दिवस पर असम के माननीय मुख्यमंत्री श्री सर्वानंद सोनोवाल जी, असम टूरिज्म डेवलपमेंट कोरपोरेशन के माननीय चैयरमैन श्री जयंत मल्ला बरूआ जी एवं असम भाजपा प्रदेश अध्यक्ष श्री रंजित दास जी ने भी कथा पंडाल में अपनी उपस्थिति दर्ज करवाई और भागवत जी एवं व्यास पीठ से आशीर्वाद प्राप्त किया। मिशन की ओर से सभी को स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया गया। पूज्य श्री देवकीनंदन ठाकुर जी महाराज ने कथा कि शुरूआत करते हुए कहा कि भगवान ने बड़ी कृपा करके हमे मानव जीवन दिया है। इस संसार में मानव जीवन मिल भी गया है, इस संसार में हमे जो भी यश मिलता है, मान सम्मान मिलता है वो सभी ठाकुर की कृपा से मिलता है। कुछ लोग मान लेते हैं और कुछ लोग नहीं मानते। लेकिन हम और आप सभी आस्तिक लोग हैं, आस्थावान लोग हैं, हम सभी को यह बात मान लेनी चाहिए कि ठाकुर की कृपा के बगैर यह संभव नहीं है। महाराज श्री ने कहा कि बहुत से लोग यह कहते हैं या भटके हुए लोग यह कहते हैं कि जीवन के अंतिम पड़ाव यानि वृद्

अंबुबाची महोत्सव धर्मरत्न शांतिदूत पूज्य श्री देवकीनंदन ठाकुर जी महाराज के सानिध्य में 21 जून से 27 जून 2018 तक स्थान – सोनाराम प्लेग्राउण्ड, ए.टी.रोड, भरलुमुख, गुवाहाटी ,असम में आयोजित श्रीमद् भागवत कथा के द्वितीय दिवस पर महाराज श्री ने भागवत कथा के महात्यम का सुंदर वर्णन भक्तों को श्रवण कराया।

द्वितिय दिवस की शुरुआत करते हुए परम पुज्य श्री देवकीनंदन ठाकुर जी महाराज जी ने प्रभु श्री कृष्ण का सुंदर भजन श्रवण किया। उन्होंने कहा कि जो मोक्ष चाहने वाले है उनके लिए भागवत सबसे सरल साधन है। मुक्ति मिलना आसान नहीं है, हज़ारों हज़ारों वर्षों तक तप करने के बाद भी मोक्ष सहज प्राप्त नहीं होता। अगर हम कहें कि हमें मुक्ति तप के माध्यम से मिल जाए, किसी और साधन से मिल जाए, तो ये आसान नहीं है, मुक्ति मिली तो है लेकिन आसानी से नहीं। उन्होंने कहा कि भागवत मात्र 7 दिन में मोक्ष देती है, लेकिन ये मुमकिन तब ही है जब हम भागवत को नियम और विधि विधान से सुने, ऐसा करने से आप जो चाहते है वो ही आपको मिलेगा। धन चाहने वालों को धन, संतान चाहने वालों को संतान, पाप नष्ट करना चाहते हो तो पाप नष्ट हो जाऐंगे, पापी से पापी कितना भी बड़ा पापिष्ट क्यूं ना हो वो भागवत कथा सुन ले तो वो निष्पान हो जाता है, ऐसी शक्ति है पवित्र ग्रंथ श्रीमद भागवत कथा में। श्रीमद भागवत कथा प्रत्येक रोग की औषधी है जिसे आप औषधालय भी कह सकते हैं। भगवान श्री कृष्ण गोकुल में विराजमान, उदास सर्वेश श्री राधा ने पूछा आप उदास क

पूज्य महाराज श्री के सानिध्य में 03 जून से 10 जून तक राजकीय आदर्श उच्च माध्यमिक विद्यालय का खेल मैदान, खाटूश्याम जी में 108 श्रीमद् भागवत कथा का आयोजन किया गया। अष्ठम दिवस पर महाराज श्री ने श्रीकृष्ण और सुदामा की मित्रता की सुंदर कथा श्रोताओं को श्रवण कराई।

भागवत कथा के अष्ठम दिवस की शुरुआत भागवत आरती और विश्व शांति के लिए प्रार्थना के साथ की गई। पूज्य देवकीनंदन ठाकुर जी महाराज ने कथा की शुरुआत में सर्वप्रथम सांस्कृतिक आतंकवाद पर बात करते हुए कहा कि ये पाश्चात्य कल्चर का ही असह है की आज हमारे माथे पर तिलक नहीं है। पाश्चात्य पढ़ाई का ही असर है की हमारे हाथ में कलावा, सर पर चोटी और गले में तुलसी नहीं है। हमे लगता है कि यह पुरानी बात है, यह पुराना कल्चर है, यह आधुनिक युग में ठीक नही है, लेकिन यह सब मिथ्या है। क्योंकि जीन लोगों को हमारा धर्म समझ में आ रहा है, जिन्होंने वेद पढ़े है, शास्त्र पढ़ा है और जिनको थोड़ा बहुत समझ में आ गया आप यकीन नहीं करेंगे की पाश्चात्य समाज के लोग भी माथे पर तिलक लगाने लगे हैं। दुर्भाग्य हमारा है की हम अपने सभ्य संस्कारों को भूलते जा रहे हैं जिससे मानव बनता है। आज आप स्वत: ही देखिए हमारे मन में अपने लिए जितनी चिंता रहती है दूसरों के लिए उतनी नहीं रहती। वेद, पुराण, रामायण, गीता की ये जो पढ़ाई है ये सही मायने में मानव का निर्माण करती है। महाराज श्री ने कहा कि संसार एक नदिया है, जीव एक पथिक है और

पूज्य महाराज श्री के सानिधय में 03 जून से 10 जून तक प्रतिदिन राजकीय आदर्श उच्च माध्यमिक विद्यालय का खेल मैदान, खाटूश्याम जी में श्रीमद् भागवत कथा के षष्ठम दिवस पर महाराज श्री ने पुतना उद्धार एवं श्री कृष्ण की बाल लीलाओं का सुंदर वर्णन भक्तों को श्रवण कराया।भागवत कथा के षष्ठम दिवस की शुरुआत भागवत आरती और विश्व शांति के लिए प्रार्थना के साथ की गई।

पूज्य महाराज श्री के सानिधय में 03 जून से 10 जून तक प्रतिदिन राजकीय आदर्श उच्च माध्यमिक विद्यालय का खेल मैदान, खाटूश्याम जी में श्रीमद् भागवत कथा के षष्ठम दिवस पर महाराज श्री ने पुतना उद्धार एवं श्री कृष्ण की बाल लीलाओं का सुंदर वर्णन भक्तों को श्रवण कराया। भागवत कथा के षष्ठम दिवस की शुरुआत भागवत आरती और विश्व शांति के लिए प्रार्थना के साथ की गई। पूज्य देवकीनंदन ठाकुर जी महाराज ने कथा की शुरुआत करते हुए कहा कि जीवन का एक मात्र उद्देश्य होना चाहिए अपने जीवन में रहते हुए भगवान को मना लेना। हमारे दुख का एक कारण यह भी है कि हम अपना पूरा जीवन दुनिया का मनाने में निकाल देते हैं। लेकन संसार कभी माना नहीं है किसी से, कितनी भी आप कोशिश कर लो, 99 बात आप मानो लेकिन 1 बात नहीं मानोगे तो कह देंगे तुझसे बुरा इंसान कोई नहीं है दुनिया में। ये संसार का स्वभाव है कि इनकी हर इच्छा को पूरी करती रहो तो आप इनके अपने हो और जिस दिन आप इनकी बात पूरी ना करो उस दिन वो आपकी हर अच्छाई भूल जाते हैं और सिर्फ बुराई याद रखते हैं। लेकिन हमारे प्रभु का स्वभाव अलग है, हम जन्मों से उन्हें भूल बैठे हैं अपन

पूज्य देवकीनंदन ठाकुर जी महाराज के सानिध्य में 03 जून से 10 जून तक प्रतिदिन राजकीय आदर्श उच्च माध्यमिक विद्यालय का खेल मैदान, खाटूश्याम जी में कथा वाचक पूज्य श्री देवकीनंदन ठाकुर जी महाराज के सानिध्य में 108 श्रीमद् भागवत कथा का आयोजन किया जा रहा है। कथा के पंचम दिवस पर महाराज श्री ने प्रभु के वामन अवतार के वृतांत का विस्तार पूर्वक वर्णन भक्तों को करवाया एवं कृष्ण जन्मोत्सव को बड़ी धूमधाम से मनाया।

भागवत कथा के पांचवे दिन की शुरुआत भागवत आरती और विश्व शांति के लिए प्रार्थना के साथ की गई। देवकीनंदन ठाकुर जी महाराज ने कथा की शुरुआत करते हुए कहा कि धर्म का प्रचार करना सिर्फ साधु संतो, महात्माओं, कथा वाचकों, ब्राह्मणों का काम नहीं है, ये हम सब की जिम्मेदारी है। भगवान ने भी आज्ञा दी है की अपने धर्म की रक्षा किसी भी कीमत पर किजिए। हम से पूर्व के लोगों ने अपना बलिदान देकर भी धर्म की रक्षा की है। आप लोग अपने धर्म को आगे बढ़ाने का अपनी तरफ से भी प्रयास किजिए। सबसे पहला काम यह किजिए की अपनी आने वाली पीढ़ी को इतना धर्मात्मा बना दिजिए की आपके जाने के बाद भी आपके मंदिर में आरती और पूजा होती रहे। दूसरा काम यह किजिए की ठाकुर की कथाओं को लोगों तक पहुंचाइए, ये आपकी तरफ से धर्म की सेवा होगी। महाराज जी ने कहा कि आप और हम उस पुनित पावन देश के लोग हैं जिस देश में ना सिर्फ अपना अपितु ओरों का भी ख्याल रखा जाता है। आजकल हमारे देश के लोग एक चीज को बहुत अच्छे से जानते है उसका नाम है मैनेजमेंट। पाश्चात्य कल्चर में बिजनेस मैनेजमेंट में सेलफिस व्यक्ति का निर्माण करते हैं, वह सिखाते हैं कि

पूज्य देवकीनंदन ठाकुर जी महाराज के सानिध्य में 03 जून से 10 जून तक प्रतिदिन राजकीय आदर्श उच्च माध्यमिक विद्यालय का खेल मैदान, हॉस्पिटल चौराहा के पास, खाटूश्याम जी में 108 श्रीमद् भागवत कथा का आयोजन किया जा रहा है। कथा के चतुर्थ दिवस पर भी हजारों की संख्या में भक्तों ने महाराज जी के श्रीमुख से कथा का श्रवण किया। भागवत कथा के चतुर्थ दिवस की शुरुआत, भागवत आरती और विश्व शांति के लिए प्रार्थना के साथ की गई।

देवकीनंदन ठाकुर जी महाराज ने कथा की शुरुआत सांस्कृतिक आतंकवाद पर चर्चा से की। उन्होंनवे कहा कि किसी भी देश के निर्माण के लिए वहां की कुछ चीजें महत्वपूर्ण होती हैं, यदि हम देश को शरीर समझे तो संस्कृति उसकी आत्मा होती है। जैसा की आप जानते हैं बिना आत्मा के शरीर किसी काम का नहीं है, ठीक वैसे ही बिना संस्कृति के देश किसी काम का नहीं है। किसी भी संस्कृति के आदर्श होते हैं, मूल्य होते हैं, इन मूल्यों की संवाहक संस्कृति होती है। भारतीय संस्कृति में चार मूल्य प्रमुख हैं— धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष। इनही पर चलकर जीव अपने चरित्र का निर्माण करता है। ये संस्कृति नहीं है जीता जागता एक सनातन धर्म है जो हमें नेक इंसान बनाता है। लेकिन आधुनिकता की जो आंधी चल रही है उसमें हमारी संस्कृत, संस्कृति, कलचर उड़ता चला जा रहा है। आज हम एक ऐसी अंधी दौड़ में लग गए हैं जिसका हमें अंत नहीं पता, बस भागे जा रहे हैं। आप प्रत्यक्ष रूप से देख सकते हैं सामाजिक बदलाव, चाहे वो बोलने का स्टाइल हो, चलने का स्टाइल हो, पश्चिमी सभ्यता हमारे ऊपर जोर शोर से हावी है। आज का युवा अगर धर्म की बात करता भी है तो बाकि के

पूज्य महाराज श्री के सानिध्य में 03 जून से 10 जून तक प्रतिदिन राजकीय आदर्श उच्च माध्यमिक विद्यालय का खेल मैदान, हॉस्पिटल चौराहा के पास, खाटूश्याम जी में 108 श्रीमद् भागवत कथा का आयोजन किया जा रहा है। कथा के तृतीय दिवस पर महाराज श्री ने शुकदेव जी के जन्म का वृतांत विस्तार से वर्णन किया।

भागवत कथा के तृतीय दिवस की शुरुआत, भागवत आरती और विश्व शांति के लिए प्रार्थना के साथ की गई। कथा से पूर्व बजरंग दल खाटूश्याम के सदस्यों द्वारा महाराज श्री को पगड़ी पहानकर एवं स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया गया।  पूज्य देवकीनंदन ठाकुर जी महाराज ने कथा की शुरुआत करते हुए कहा कि संस्कृत, संस्कृति और संस्कार इस देश की वो धरोहर है जिसकी वजह से हमारे देश का मान सम्मान सिर्फ भूमंडल पर ही नहीं अपितु इस की वजह से भारत जैसे पुनित देश का डंका स्वर्ग में भी बजता है। मेकाले जब भारत आया तो उसने अपने सदन में एक बात कही थी कि मैने भारत के हर एक कोने को जा जाकर देखा है और इस भारत को हम गुलाम बनाने के लायक नहीं है। यह इतना संपन्न देश है कि मुझे इस देश में एक भी भिखारी नजर नहीं आया। इस देश की सबसे बड़ी सपत्ति इसके संस्कार है, यहां एक से एक आदर्श व्यक्तित्व रहता है। मेकाले उस देश की बात कर रहा है जहां आज एक भी लड़की सुरक्षित नहीं है। मेकाले कहता था यह देश तब तक गुलाम नहीं बन सकता जब तक हम इसकी संस्कृति, संस्कृत और संस्कार को खत्म नहीं कर देते। आजकल अगर कहीं हम अगर दो अंग्रेजी बोलने वालों के बी
कथा के पहले दिन सर्वप्रथम सुबह श्री खाटू श्याम जी मंदिर से कथा स्थल तक कलश यात्रा निकाली जिसमें सैकड़ों माताओं बहनों ने कलश उठाया। कथा से पूर्व महाराज श्री ने सभी 108 यजमान ब्राह्मणों के साथ पूजा अर्चना की जिसके बाद दोपहर 12:30 बजे महाराज जी के साथ श्री पवन जी, पुजारी अध्यक्ष, श्री श्याम सुंदर शर्मा जी, प्रधानाचार्य, श्री पप्पू शर्मा जी ने दीप प्रज्जवलित कर 108 श्रीमद्भागवत कथा की शुरूआत की। यजमानों द्वारा महाराज श्री को पगड़ी पहनाकर सम्मानित किया गया। भागवत कथा के प्रथम दिवस की शुरुआत दीप प्रज्जवलन, भागवत आरती और विश्व शांति के लिए प्रार्थना के साथ की गई। पूज्य देवकीनंदन ठाकुर जी महाराज ने कथा की शुरुआत करते हुए कहा कि हमेशा मीठी बाते सुनिए अगर कटु वाणी सुनोगे तो तुम्हारा ह्रदय जहरीला हो जाएगा और मधुर वाणी सुनोगे तो आपका ह्रदय रस युक्त, स्वस्थ, निर्मल पवित्र हो जाएगा। महाराज जी ने कहा कि आजकल मां बाप की जिम्मेदारी कम होती जा रही है क्योंकि वो सोचते हैं कि अध्यापक सबकुछ सीखा देंगे। उन्होंने कहा कि बच्चे आपके हैं टीचर के नहीं , अपने बच्चों को सही राह पर ले जाने के लिए मा