भागवत के प्रथम दिवस की शुरूआत दीप प्रज्जवलन, भागवत आरती और विश्व शांति के लिए प्रार्थना के साथ की गई। कथा से पूर्व पूज्य महाराज श्री के सानिध्य में कथा स्थल तक भव्य कलश यात्रा निकाली गई, जिसमें मातओं बहनों ने बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया। पूज्य श्री देवकीनंदन ठाकुर जी महाराज के कथा की शुरूआत करते हुए कहा कि भागवत कथा जीव को श्रेष्ठ ज्ञान देती है। यह भागवत भक्ति ज्ञान वैराग्य से पूर्ण है, जीवन जीने के लिए ज्ञान होना जरूरी है, भगवान को पाने के लिए भक्ति का होना जरूरी है और भगवान से ना मिटने वाला प्रेम हो सके उसके लिए थोड़ा वैराग्य भी जरूरी है। यह जरूरी नहीं कि हम घर छोड़ देंगे तो वैरागी होंगे , कई बार तो हम घर में रहते हुए भी वैरागी हो जाते हैं। कुछ भी खाने का, इस्तेमाल करने का मन नहीं करता सिर्फ श्याम से मिलने की इच्छा दिल में प्रकाट होती चली जाती है, इतनी प्रगाट हो जाती है कि उस इच्छा को लेकर रात दिन हमारी आंखों से अश्रु बिंदू बहते रहते हैं और वही वैरागी है तो दुनिया के लिए ना रोए, कृष्ण के लिए जिसकी आंखों में आंसू रहते हों। दुनिया का कोई भी आक्रषण उसे अपनी ओर ना आकृषित कर सके अपि