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Showing posts from July, 2018

पुत्र होने से सुख नहीं आता बल्कि तुम्हारे कर्म तुम्हे सुखी करते हैं ।

पुत्र होने से सुख नहीं आता बल्कि तुम्हारे कर्म तुम्हे सुखी करते हैं ।। Shri Devkinandan Thakur Ji Maharaj

Bhagwan Ki Katha Hame Deti Kya Hai?

Bhagwan Ki Katha Hame Deti Kya Hai? || SHRI DEVKINANDAN THAKUR JI

Shrimad Bhagwat Katha || Shri Devkinandan Thakur Ji

सांस्कृतिक महोत्सव का विशाल आयोजन 28 से 30 जुलाई 2018 तालकटोरा इंडोर स्टेडियम दिल्ली में।

सांस्कृतिक महोत्सव 2018

सांस्कृतिक महोत्सव 2018

सांस्कृतिक महोत्सव 2018

सांस्कृतिक महोत्सव 2018

Thakur Ji Images

Shri Devkinandan Thakur Ji Maharaj

Edmonton Images In Shri Devkinandan thakur Ji

Shrimad Bhagwat Katha || Edmonton Canada

Edmonton Canada

Edmonton, Canada

सांस्कृतिक महोत्सव का विशाल आयोजन 28 से 30 जुलाई 2018 तालकटोरा इंडोर स्टेडियम दिल्ली में।

|| आज का शांति संदेश ||

गुरु के मन में भक्त के प्रति हमेशा कल्याण की भावना बनी रहती हैं।

पूज्य महाराज श्री के सानिध्य में 15 से 21 जुलाई 2018 तक PCAE Community Center 9226 39 Avenue NW, Near Hindu Temple, Edmonton, Canada में आयोजित श्रीमद्भागवत कथा के षष्ठम दिवस पर महाराज श्री प्रभु के रसमय स्वरुप और श्रीकृष्ण की सुंदर लीलाओं का सुंदर वर्णन भक्तों को श्रवण कराया।

भागवत के षष्ठम दिवस की शुरूआत भागवत आरती और विश्व शांति के लिए प्रार्थना के साथ की गई। पूज्य देवकीनंदन ठाकुर जी महाराज ने कथा की शुरूआत करते हुए कहा कि अहंकार और अभिमान सबसे बुरी बलाएं हैं और धर्म का सबसे बड़ा रोड़ा है अहंकार । अभिमानी के शब्दो से पता चल जाता है कि कौन अभिमानी है, जो अभिमानी नहीं होता वो विनमर्ता से बात करता है। हर चीज का एक अलग ही अभिमान होता है, जब हम जवान होते हैं तो जवानी का भी एक अलग अहंकार होता है। जवानी के अहंकार में अपने माता पिता से कहते है कि आपको कुछ पता ही नहीं है, समय बदल चुका है, मुझे सिखाने की कोशिश मत करो। लेकिन इतना याद रखिए की आप अपने माता पिता की उम्र का अनुभव कभी प्राप्त नहीं कर सकते। आपके माता पिता के उम्र का जो अनुभव है वो आपका है और अगर आप उसे सीढ़ी बना लें तो अगर आप श्रेष्ठ है तो उनके अनुभव लेने के बाद आप प्रतिभाशाली हो सकते हैं। महाराज श्री ने कहा कि अगर जीवन में कोई समस्या आ जाए तो दो ही रास्ते हैं आपके पास, आपको या तो गोविंद के पास चले जाना चाहिए या गुरू के पास चले जाना चाहिए । गुरू दूर हैं तो गोविंद के पास चले जाओ वो सारी प

Jeevan Kaise Jeena Chahiye ? || जीवन कैसे जीना चाहिए ? ||Shri Devkinandan Thakur Ji Maharaj

Jeevan Kaise Jeena Chahiye ? || जीवन कैसे जीना चाहिए ? ||Shri Devkinandan Thakur Ji Maharaj

Sanskritik Mahotsav Promo ।। Shri Devkinandan Thakur Ji Maharaj

Sanskritik Mahotsav Promo ।। Shri Devkinandan Thakur Ji Maharaj

पूज्य महाराज श्री के सानिध्य में 15 से 21 जुलाई 2018 तक PCAE Community Center 9226 39 Avenue NW, Near Hindu Temple, Edmonton, Canada में आयोजित श्रीमद्भागवत कथा के तृतीय दिवस पर महाराज श्री ने भागवत कथा में बताया की जिस व्यक्ति की मृत्यु सातवें दिन हो उसको क्या करना चाहिए ? इस वृतांत का विस्तार से वर्णन किया।

भागवत के तृतीय दिवस की शुरूआत भागवत आरती और विश्व शांति के लिए प्रार्थना के साथ की गई। पूज्य देवकीनंदन ठाकुर जी महाराज ने कथा की शुरूआत करते हुए कि कहा गया है कि हरि अनंत हरि कथा अनंता, कहहिं सुनहिं बहुबिधि सब संता । भगवान की कथा एक नहीं है अनंत है, भगवान की कथा जितनी बार भी सुनो उतनी बार नई लगती है, जितना सुनो यह मन को मोह लेती है। लेकिन यह रसिकों की बात है, जो रसिक नहीं होते उन्हे तो भगावत कथा सुननी ही नहीं चाहिए। महाराज श्री ने कहा कि हम लोग भगवान के दिए हुए मानव जीवन को भी सिर्फ पैसा पाने की कोशिश में गंवा देते हैं। आप धन कमाईए क्योंकि जितना धन होगा उतना धर्म होगा लेकिन भगवान ने आपको जो भी दिया है आप अपने आप को उसका मालिक मत समझो, आप उसके मुनीम हो। जो व्यक्ति भगवान की दी हुई सम्पत्ति को अपने आप को मालिक समझता है वही अपने साथ सबसे बड़ा घाटा करता है। जब हम अपने आप को मालिक समझेंगे तो धन का दुरूपयोग करेंगे और जब हम अपने आप को इसका मुनीम समझेंगे तो जो भी भगवान ने हमे दिया है उसका हिसाब देना पड़ेगा। महाराज श्री ने कहा कि किसी भी संत का मत झूठा नहीं होता, आप जिस भी संत की वाणी पर वि

पूज्य महाराज श्री के सानिध्य में 15 से 21 जुलाई 2018 तक PCAE Community Center 9226 39 Avenue NW, Near Hindu Temple, Edmonton, Canada में आयोजित श्रीमद्भागवत कथा के द्वितीय दिवस पर महाराज श्री ने भागवत महात्म्य का सुंदर वर्णन श्रोताओं को श्रवण कराया।

भागवत के द्वितीय दिवस की शुरूआत दीप प्रज्जवलन, भागवत आरती और विश्व शांति के लिए प्रार्थना के साथ की गई। एडमॉनटन कनाडा में चल रहीं श्रीमद्भागवत कथा में पूज्य श्री देवकीनंदन ठाकुर जी महाराज जी ने भक्तों को कथा की शुरूआत सुंदर भजन से कराई। और कथा की शुरुआत में बताया कि जितना भगवान को देना है उतना ही आपको मिंलना है। फिर चाहे वो कथामृत ही क्यों ना हो। देवकीनंदन ठाकुर जी महाराज ने कथा का वृतांत सुनाते हुए कहा की श्रीकृष्ण दुखी है की इस कलयुग के व्यक्ति का कल्याण कैसे हो, राधारानी ने पूछा क्या आपने इनके लिए कुछ सोचा है। प्रभु बोले एक उपाय है हमारे वहां से कोई जाए और हमारी कथाओं का गायन कराए और जब ये सुनेंगे तो इनका कल्याण निश्चित हो जाएगा। बात आई की कौन जाएगा, तो बोले की शुक जी जा सकते हैं, शुक को कहा गया वो जाने के लिए तैयार हो गए। श्री शुक भगवान की कथाओं का गायन करने के लिए जा रहे हैं तो मार्ग में कैलाश पर्वत पड़ा, कैलाश में भगवान शिव माता पार्वती के साथ विराजमान हैं। भागवत वही अमर कथा है जो भगवान शिव ने माता पार्वती को सुनाई थी। कथा सुनना भी सबके भाग्य में नहीं होता जब भगवान् भोलेनाथ

पूज्य महाराज श्री के सानिध्य में 15 से 21 जुलाई 2018 तक PCAE Community Center 9226 39 Avenue NW, Near Hindu Temple, Edmonton, Canada में आयोजित श्रीमद्भागवत कथा के प्रथम दिवस पर महाराज श्री ने भागवत महात्म्य का सुंदर वर्णन श्रोताओं को श्रवण कराया।

भागवत के प्रथम दिवस की शुरूआत दीप प्रज्जवलन, भागवत आरती और विश्व शांति के लिए प्रार्थना के साथ की गई। कथा से पूर्व पूज्य महाराज श्री के सानिध्य में कथा स्थल तक भव्य कलश यात्रा निकाली गई, जिसमें मातओं बहनों ने बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया। पूज्य श्री देवकीनंदन ठाकुर जी महाराज के कथा की शुरूआत करते हुए कहा कि भागवत कथा जीव को श्रेष्ठ ज्ञान देती है। यह भागवत भक्ति ज्ञान वैराग्य से पूर्ण है, जीवन जीने के लिए ज्ञान होना जरूरी है, भगवान को पाने के लिए भक्ति का होना जरूरी है और भगवान से ना मिटने वाला प्रेम हो सके उसके लिए थोड़ा वैराग्य भी जरूरी है। यह जरूरी नहीं कि हम घर छोड़ देंगे तो वैरागी होंगे , कई बार तो हम घर में रहते हुए भी वैरागी हो जाते हैं। कुछ भी खाने का, इस्तेमाल करने का मन नहीं करता सिर्फ श्याम से मिलने की इच्छा दिल में प्रकाट होती चली जाती है, इतनी प्रगाट हो जाती है कि उस इच्छा को लेकर रात दिन हमारी आंखों से अश्रु बिंदू बहते रहते हैं और वही वैरागी है तो दुनिया के लिए ना रोए, कृष्ण के लिए जिसकी आंखों में आंसू रहते हों। दुनिया का कोई भी आक्रषण उसे अपनी ओर ना आकृषित कर सके अपि