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पूज्य महाराज श्री के सानिध्य में 17 - 23 जनवरी तक, बांग्ला बाजार चौराहा, रेल नगर मैदान, लखनऊ, उत्तर प्रदेश आयोजित श्रीमद भागवत कथा के प्रथम दिवस पर भगवान श्री कृष्ण की लीलाओं का सुंदर वर्णन भक्तों को श्रवण कराया।
महाराज श्री ने कथा प्रारम्भ करते हुए भक्तो को भागवत कथा का महत्व बताया। उन्होंने कहा की जिसकी कथा सुनते सुनते मुर्छित व्यक्ति भी सजीव हो उठता है, रोता हुआ व्यक्ति भी नाच उठता है, जो आनन्द को भी आनन्द प्रदान करने वाला है ये उस परमात्मा की कथा है। महाराज श्री ने पालनहार सच्चिदानंद की महिमा का वर्णन किया। उन्होंने कहा वही सबकुछ है हम कुछ नही, जब उसकी इच्छा होती है हमारा जन्म होता है और जब उसकी इच्छा होती है तो हमारी लीला पूरी हो जाती है। उन्होंने कहा की जिसका चित्त उसके बस में होता है वहीं सच्चिदानंद होता है। हमारा चित्त हमारे बस में नहीं है, उनका चित्त उनके बस में है इसीलिए वह सच्चिदानंद है।
महाराज श्री कथा का वृतांत बताते हुए कहा कि जो लोग कहते है कथा वाचक खाली कहते हैं कि भगवान के दर्शन होते हैं वो लोग 7 दिन भागवत कथा सुनो अगर भागवत कथा का अनुभव ना हो तो कहना। महाराज श्री ने कहा की कलयुग के लोगों के कल्याण के लिए भागवत का श्रवण करना जरुरी है। उन्होंने कहा की सभी वेदों, पुराणों, शास्त्रों का सार है श्रीमद् भागवत, जिसने भागवत श्रवण कर लिया उसका कल्याण सुनिश्चित हो जाता है।
महाराज जी ने युवाओं को भी प्रेरणा देते हुए कहा की आप जिस पैसे के पीछे भागते हो क्या वो पैसा आपको मोक्ष दिला सकता है, आप पैसों से सब कुछ खरीद सकते हो लेकिन मोक्ष नहीं ले सकते, लेकिन सातों दिनों की भागवत कथा नियमित रुप से सुनने से मोक्ष मिल जाता है।
महाराज श्री ने सरकार द्वारा हज सब्सिडी खत्म करने के बारे में भी बात की, उन्होंने कहा की सरकार ने हज सब्सिडी खत्म कर दी, मुस्लमान भाईयों ने इस आदेश का स्वागत किया है हम उनका साधुवाद करते हैं।
कथा के दौरान महाराज जी ने आज की पीढ़ी को प्रसन्न रहने के सूत्र भी बताए, उन्होंने कहा की जैसा नजरिया होगा तेरा, वैसे नजारे होंगे तेरे, अपने से नीचे वालों को देखों प्रसन्न हो जाओगे, अपने से ऊपर वालों को देखोगे तो दुखी हो जाओगे।
कथा के दौरान महाराज जी ने कई भक्ति गीतों से भक्तों को नाचने पर भी मजबूर कर दिया। पहले दिन ही कथा में हजारों की संख्या में भक्त पहुंचे।
राधे राधे बोलना पड़ेगा।।

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परम पूज्य श्री देवकीनंदन ठाकुर जी महाराज के सानिध्य में मोतीझील ग्राउंड, कानपुर में आयोजित श्रीमद भागवत कथा के षष्टम दिवस में भगवान श्री कृष्ण की लीलाओं का सुंदर वर्णन भक्तों को श्रवण कराया। महाराज जी ने बताया की इस जीवन की कीमत केवल एक साधक ही जान सकता है क्योंकि यह मानव जीवन अनमोल है और इसको कुसंगति से बर्बाद नहीं करना चाहिए। इस चौरासी लाख योनियों में मानव जीवन को सर्वश्रेष्ठ माना गया है क्योंकि इसमें हमें प्रभु का नाम सुमिरन करने का सत्संग करने का अवसर प्राप्त होता है। रा म नाम सुमिरन से मानव जीवन का कल्याण हो जाता है। एक बार का प्रसंग बताते हुए महाराज जी ने कहा की एक आश्रम में एक शिष्य और गुरु जी थे किसी कार्य के कारण उनको आश्रम से बहार जाना पड़ा। शिष्य अकेला रह गया, तो वहां एक ग्रामीण आया उसने गुरूजी के विषय में पूछा की मुझे गुरूजी से मिलना है तब शिष्य ने बताया की गुरूजी तो नहीं है क्या मैं कुछ आपकी मदद कर सकता हूँ? उस आदमी ने बताया की मेरा लड़का बीमार है। तब शिष्य ने बताया की आप एक उपाय करे किसी स्थान पर तीन बार राम नाम लिखना और फिर उसको स्नान कराकर वो जल अपने ब
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