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पूज्य महाराज श्री के सानिध्य में 22 फरवरी से 1 मार्च 2018 तक शांति सेवा धाम, वृन्दावन में आयोजित होली महोत्सव कार्यक्रम के अंतर्गत 108 श्रीमद भागवत कथा के प्रथम दिवस पर महाराज श्री ने भागवत के महात्यम का विस्तार से वर्णन किया और सुन्दर भजनो का भक्तों को श्रवण कराया।






सर्वप्रथम महाराज श्री ने विश्व शांति के लिए ठाकुर जी से प्रार्थना की और उसके बाद भागवत कथा में प्रवेश किया। महाराज जी ने भागवत के प्रथम श्लोक का पाठ किया
" सच्चिदानन्दरूपाय विश्वोत्पत्त्यादिहेतवे। तापत्रयविनाशाय श्रीकृष्णाय वयं नुम:।। "
महाराज श्री ने बताया की भागवत में आने से हमे सभी तीर्थो का पुण्य प्राप्त हो जाता है। क्योकि जहाँ भागवत कथा होती है वहां सभी पवित्र नदिया , सभी देवता , सारे तीर्थ वास करते है। और कथा पंडाल में आकर भागवत सुनने मात्रा से ही हमे सभी तीर्थो का पुण्य लाभ हमको प्राप्त हो जाता है। पूर्व के युगो में जो हजारों वर्षो की तपस्या करके भगवान की प्राप्ति होती थी। परन्तु कलियुग में केवल नाम संकीर्तन व कथा श्रवण मात्र से ही मनुष्य को ईश्वर की प्राप्ति हो जाती है। प्रत्येक पुराण में कलियुग के प्राणियों के लिए चिंता वयक्त की, कि किस प्रकार कलयुगी मनुष्य का उद्धार हो कारण बस इतना है की आज का मानव धर्म को सर्वोपरि नहीं धन को सर्वोपरि मानता है
भागवत नाम उच्चारण करने से सारे पाप नष्ट हो जाते है। अब प्रश्न ये उठता है की बात कौन गारंटी देगा तो मै आपको ये बात निश्चित रूप से कह सकता हूँ कि जो व्यक्ति ठाकुर की कथा मन लगा कर सुनता है तो उसकी मनोकामना अवश्य पूर्ण होती है। अब प्रश्न की भागवत सुनने से क्या मिलता है ? तो मेरे प्यारे भागवत एक कल्प वृक्ष है इससे जो मांगों वो मिलेगा पर शर्त यह है की भागवत में सच्ची श्रद्धा और विश्वास रखे तो निर्धन को धन , रोगी को निरोगी काया ,निसंतान को संतान सब कुछ ठाकुर देता है।
" सत्यं परम धीमहि " यानि भागवत ही परम सत्य है क्योकि सत्य कभी भी नहीं बदलता वो कल भी था , आज भी है और कल भी रहेगा। सत्य कभी खंडित नहीं होता तीनो काल में रहता है तो यह कथा भी सत्य की कथा है इसके प्रारम्भ सत्य , मध्य में सत्य और अंत भी सत्य है तो इसको सुनने से सत्य का ज्ञान हो जाता है। जो भी भागवत की शरण में आएगा उस की मुक्ति निश्चित है। भगवान को जानने की इच्छा ही भागवत है। इसलिए भगवान को जानने और उनसे संबंध बनाने की कोशिश जरुर करना। क्योंकि दुनिया के सारे संबंध भले साथ छोड़ देंगे। लेकिन भगवान तुम्हारा साथ कभी नहीं छोडेंगे।
प्रारम्भ में यह की भागवत का महात्यम क्या है ? एक बात सनकादिक ऋषि और सूद जी महाराज विराजमान थे तो उन्होंने ये प्रश्न किया की कलियुग के लोगो का कल्याण कैसे होगा ? आप देखिये किसी भी पुराण में किसी और युग के लोगो की चिंता नहीं की पर कलयुग के लोगो के कल्याण की चिंता हर पुराण और वेद में की गई कारण क्या है क्योकि कलयुग का प्राणी अपने कल्याण के मार्ग को भूल कर केवल अपने मन की ही करता है जो उसके मन को भाये वह बस वही कार्य करता है। और फिर कलियुग के मानव की आयु कम है और शास्त्र ज्यादा है तो फिर एक कल्याण का मार्ग बताया भागवत कथा। श्रीमद भागवत कथा सुनने मात्र से ही जीव का कल्याण हो जाता है महाराज श्री ने कहा कि व्यास जी ने जब इस भगवत प्राप्ति का ग्रंथ लिखा, तब भागवत नाम दिया गया। बाद में इसे श्रीमद् भागवत नाम दिया गया। इस श्रीमद् शब्द के पीछे एक बड़ा मर्म छुपा हुआ है श्री यानी जब धन का अहंकार हो जाए तो भागवत सुन लो, अहंकार दूर हो जाएगा। इस सांसारिक जीवन में जो कुछ भी प्राप्त किये हो सब किराए के मकान की तरह है। खाली करना ही पड़ेगा।
व्यक्ति इस संसार से केवल अपना कर्म लेकर जाता है। इसलिए अच्छे कर्म करो। भाग्य, भक्ति, वैराग्य और मुक्ति पाने के लिए भागवत की कथा सुनो। केवल सुनो ही नहीं बल्कि भागवत की मानों भी। सच्चा हिन्दू वही है जो कृष्ण की सुने और उसको माने , गीता की सुनो और उसकी मानों भी , माँ - बाप, गुरु की सुनो तो उनकी मानो भी तो आपके कर्म श्रेष्ठ होंगे और जब कर्म श्रेष्ठ होंगे तो आप को संसार की कोई भी वस्तु कभी दुखी नहीं कर पायेगी। और जब आप को संसार की किसी बात का फर्क पड़ना बंद हो जायेगा तो निश्चित ही आप वैराग्य की और अग्रसर हो जायेगे और तब ईश्वर को पाना सरल हो जायेगा। .
।। राधे राधे बोलना पड़ेगा ।।

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