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पूज्य महाराज श्री के सानिध्य में 22 फरवरी से 1 मार्च 2018 तक शांति सेवा धाम, वृन्दावन में आयोजित होली महोत्सव कार्यक्रम के अंतर्गत 108 श्रीमद भागवत कथा के चतुर्थ दिवस पर महाराज श्री ने भागवत में वामन अवतार, अजामिल कथा,भगवान् श्री कृष्ण का जन्मोत्सव आदि का वृतांत विस्तार से वर्णन किया और सुन्दर भजनो का भक्तों को श्रवण कराया।







" प्रभु की विशेष कृपा होती है तब पापों का नाश करने के लिए भागवत कथा प्राप्त होती है। "

पूज्य महाराज श्री ने कथा की शुरुआत करते हुए कहा की प्रभु की असीम अनुकम्पा का दर्शन यह है की हम सभी श्री वृन्दावन धाम में है और ये ही नहीं प्रियकांत जू की कथा उन्ही के प्रांगड़ में बैठ कर सुनने का सौभाग्य आप सभी भक्तो को प्राप्त हो रहा है। निश्चित ही कुछ पाप ऐसे होते है जो हमे अच्छे कर्मो से , भगवान की कथा से दूर करते है। और कुछ विशेष कृपा जब प्रभु की होती है तो हमारे पापो को नष्ट करने का प्रयास किया जाता है और वह भागवत कथा के माध्यम से होता है
चुतर्थ दिवस की कथा का वृतांत में महाराज श्री ने भगवान श्री कृष्ण के प्राक्ट्य की कथा सुनाई मथुरा नगरी में राजा उग्रसेन जिनका एक पुत्र था कंस जो अपनी बहन देवकी को जब विवाह के बाद विदा करने जा रहे थे तो रस्ते में आकाशवाणी हुई की हे कंस तू जिस बहन को इतने आदर के साथ विदा कर रहा है उसीका आठवाँ पुत्र तेरा काल होगा इतना सुनते ही कंस ने देवकी के केश पकडे और रथ से नीचे उतर लिया। और देवकी से बोला की जब तू ही नहीं होगी तो तेरा पुत्र कैसे होगा तब वासुदेव जी कहा की तुम इतने कमजोर हो की स्त्री पर हाथ उठाते हो। जहाँ स्त्रियों का सम्मान होता है वह देवता वास करते है इसलिए कभी स्त्री पर हाथ नहीं उठाना चाहिये। हमारे शास्त्रों में कहा गया है कि जहाँ नारी की पूजा होती है वहाँ देवता भी वास करते है और जहाँ नारी का निरादर होता है वहां से लक्ष्मी रूठ कर चली जाती है। इसी परंपरा के अनुसार वसुदेव जी ने कंस से कहा की तुमको देवकी को मरने से क्या लाभ तुम्हारा काल तो उसका आठवाँ पुत्र है में तुमको वचन देता हूँ की मैं स्वयं तुमको देवकी के सभी पुत्रो को तुम्हें सौंप दूँगा परन्तु देवकी के प्राण मत लो। ऐसा सुन कंस ने उनको कारगर में डाल दिया। जब प्रभु ने जन्म लिया तो वासुदेव जी के बंधन अपने आप खुल गए और वासुदेव जी कंस कारागार से भगवान् को लेकर नन्द बाबा के यहाँ छोड़ आये और वहाँ से जन्मी योगमाया को ले आये। अब देखिये मेरे ठाकुर की माया की वो अपने भक्तो का ख्याल कैसे रखता है? जिसके घर ८५ साल के उम्र में बालक का जन्म हो तो उसकी ख़ुशी का क्या ठिकाना होगा अनुमान लगाइये। नन्द बाबा के घर बधाइयों का ताता लग गया। क्योंकि मेरा ठाकुर को जो प्रेम से बुलाता है तो वो वहाँ जाये बिना नहीं रह सकते। इसी तरह आप नाम तो लेकर देखो मेरे कन्हैया का, पर मेरे कन्हैया को दिखावा नहीं पसंद जैसे हो वैसे ही उसके सामने जाओ वो तुमको अपना लेगा। महाराज श्री ने कहा की हम और आप कैसे पुत्र की कामना करते है कंस जैसे पुत्र या राम जैसे पुत्र की , तो सभी अपने घर में राम जैसा पुत्र ही चाहेंगे। तो मेरे प्यारे आपको भी दसरथ और कौशल्या बना ही पड़ेगा कियोकि राम में संस्कार देने वाले उनके माता पिता ही थे। तो मेरे प्यारे आपको भी अपने बच्चों को संस्कारी बनाना होगा तब हर घर में राम और भरत होगा।
" राधे राधे बोलना पड़ेगा। "

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