पूज्य महाराज श्री के सानिध्य में 22 फरवरी से 1 मार्च 2018 तक शांति सेवा धाम, वृन्दावन में आयोजित होली महोत्सव कार्यक्रम के अंतर्गत 108 श्रीमद भागवत कथा के पंचम दिवस पर महाराज श्री ने भागवत में आज पूतना वध और श्री कृष्ण की बाल लीलाओं का सुन्दर वृतांत विस्तार से वर्णन किया और सुन्दर भजनो का भक्तों को श्रवण कराया।
मन को साफ़ रखो, मर्यादा का पालन करों तो वृंदावन मे गोविंद की कृपा का अनुभव होगा।
पूज्य महाराज श्री ने कथा का प्रारम्भ करते हुए कहा की हम लोग ही बहुत ही भाग्यवान है क्योंकि हमे सब तरह के अंगों से भगवान ने संपन्न किया हुआ है। भगवान ने हमको हाथ, पैर, आँख, नाक, दिमाग सभी कुछ दिया हुआ है। मेरे ठाकुर जी ने हमको इतनी सुन्दर जिंदगी दी है। तो हमको उनके इस वरदान को कभी भी नहीं भूलना चाहिए। इस मानव योनि को प्राप्त करने के बाद भी अगर मानव मेरे प्रभु को याद न करे तो हमसे बड़ा आत्मघाती या पापी इस दुनिया में और कोई नहीं है। महाराज श्री ने कहा कि भगवान ने हर व्यक्ति को अपनी एक अलग ही समझ दी है। उसी के अनुसार ही हर व्यक्ति अपनी क्षमता के अनुसार ही हर कार्य को करता है। कई अपनी समझ से अपने हर कार्य को भगवान की इच्छा मानकर ही करते है और सदा ही स्वच्छ मन से कार्य को करते है ताकि उनसे कोई भी गलती न हो और कुछ लोग अपने गंदे विचारो से ही कार्य को करते है और उन्ही में सदैव लिप्त रहते है। वो अच्छे और बुरे का फर्क नहीं समझते है। हमको तो सदा ही अच्छे और बुरे का फर्क लेकर ही भगवान की भक्ति को करते रहना चाहिए। क्योँकि उसी के अनुसार ही हम अपने सभी कार्यों को कर सकते है। हमको तो सदैव ही अच्छे कार्य ही करने चाहिए और बुरे कार्यों से सदा के लिए ही दूर रहना चाहिए। तभी हमारा इस संसार में सही रूप से गुजारा हो सकता है। भगवान भी उन्ही का साथ देते है जो सदा कर्मों में लिप्त रहते है। जो लोग सदा ही बुरे कार्य करते है उनसे तो भगवान सदा ही दूरी बनाये रखते है।
महाराज जी ने कहा की माटी की भी कीमत होती है लेकिन मरने के बाद आपकी क्या कीमत है। इंसान के मरते ही उसके शरीर को जो किसी नाम से जाना जाता था पल भर में ही उसको डेडबॉडी कहने लगते है। 50- 100 वर्ष तक जो आपने नाम कमाया वो भी यही रह जायेगा लेकिन इंसान का चरित्र है जो कभी समाप्त नहीं होता। इंसान के कर्म ही हैं जो याद रहते हैं, इसलिए अच्छे कर्म करते रहिए।
वृंदावन में ठाकुर जी महाराज आज भी है बस आपको यहां अपना दिल साफ रखना होगा, यहा मर्यादा का पालन करना होगा, फिर निश्चित तौर पर गोविंद की कृपा अनुभव करोगे। यह भूमि का वरदान है, यहां प्रेम के खजाने में से जो ले जा सकते हो लेकर जाओ।
पूज्य महाराज श्री ने कृष्ण जन्म पर नंद बाबा नंद बाबा की खुशी का वृतांत सुनाते हुए कहा की जब प्रभु ने जन्म लिया तो वासुदेव जी कंस कारागार से उनको लेकर नन्द बाबा के यहाँ छोड़ आये और वहाँ से जन्मी योगमाया को ले आये। अब देखिये मेरे ठाकुर की माया की वो अपने भक्तो का ख्याल कैसे रखता है? जिसके घर 75 साल के उम्र में बालक का जन्म हो तो उसकी ख़ुशी का क्या ठिकाना होगा अनुमान लगाइये। क्योंकि मेरा ठाकुर को जो प्रेम से बुलाता है तो वो वहाँ जाये बिना नहीं रह सकते। इसी तरह आप नाम तो लेकर देखो मेरे कन्हैया का, पर मेरे कन्हैया को दिखावा नहीं पसंद जैसे हो वैसे ही उसके सामने जाओ वो तुमको अपना लेगा। जब पूतना भगवान के जन्म के 6 दिन बाद प्रभु को मारने के लिए अपने स्तनों पर कालकूट विष लगा कर आई तो मेरे कन्हैया ने अपनी आँखे बंद कर ली, कारण क्या था? क्योकि जब एक बार मेरे ठाकुर की शरण में आ जाता है तो उसका उद्धार निश्चित है। परन्तु मेरे ठाकुर को दिखावा, छलावा पसंद नहीं। आप जैसे हो वैसे आओ रावण भी भगवान श्री राम के सामने आया परन्तु छल से नहीं शत्रु बन कर, कंस भी सामने शत्रु बन आया पर भगवान ने उनका उद्दार किया। लेकिन जब पूतना और शूपर्णखा आई तो प्रभु ने आखे फेर ली क्योंकि वो मित्र के वेश रख कर शत्रुता निभाने आई थी। आज के युग में भी तो यही हो रहा है हम दिखते कुछ है और होता कुछ है। इसलिए आज प्रभु को पाने में कठिनाई है तुम जैसे हो लालची हो तो वैसे ही जाओ, कामी हो तो वैसे ही, पापी हो तो भी मेरा ठाकुर तुमको अपना लेगा। क्योंकि हो तो आखिर तुम उसके ही। रोज बोलो ठाकुर से जो हूँ जैसा हूँ तुम्हारा ही हूँ वो कब तक नज़र बचाएगा। मेरा ठाकुर इतना दयालु है तार ही देगा। जैसे माँ को बालक जैसा भी हो प्यारा लगता है वैसे तुम जैसे हो वैसे ही मेरे ठाकुर के हो जाओ तो वो तुमको अपना प्यारा बना ही लेगा।
।। राधे राधे बोलना पड़ेगा ।।
महाराज जी ने कहा की माटी की भी कीमत होती है लेकिन मरने के बाद आपकी क्या कीमत है। इंसान के मरते ही उसके शरीर को जो किसी नाम से जाना जाता था पल भर में ही उसको डेडबॉडी कहने लगते है। 50- 100 वर्ष तक जो आपने नाम कमाया वो भी यही रह जायेगा लेकिन इंसान का चरित्र है जो कभी समाप्त नहीं होता। इंसान के कर्म ही हैं जो याद रहते हैं, इसलिए अच्छे कर्म करते रहिए।
वृंदावन में ठाकुर जी महाराज आज भी है बस आपको यहां अपना दिल साफ रखना होगा, यहा मर्यादा का पालन करना होगा, फिर निश्चित तौर पर गोविंद की कृपा अनुभव करोगे। यह भूमि का वरदान है, यहां प्रेम के खजाने में से जो ले जा सकते हो लेकर जाओ।
पूज्य महाराज श्री ने कृष्ण जन्म पर नंद बाबा नंद बाबा की खुशी का वृतांत सुनाते हुए कहा की जब प्रभु ने जन्म लिया तो वासुदेव जी कंस कारागार से उनको लेकर नन्द बाबा के यहाँ छोड़ आये और वहाँ से जन्मी योगमाया को ले आये। अब देखिये मेरे ठाकुर की माया की वो अपने भक्तो का ख्याल कैसे रखता है? जिसके घर 75 साल के उम्र में बालक का जन्म हो तो उसकी ख़ुशी का क्या ठिकाना होगा अनुमान लगाइये। क्योंकि मेरा ठाकुर को जो प्रेम से बुलाता है तो वो वहाँ जाये बिना नहीं रह सकते। इसी तरह आप नाम तो लेकर देखो मेरे कन्हैया का, पर मेरे कन्हैया को दिखावा नहीं पसंद जैसे हो वैसे ही उसके सामने जाओ वो तुमको अपना लेगा। जब पूतना भगवान के जन्म के 6 दिन बाद प्रभु को मारने के लिए अपने स्तनों पर कालकूट विष लगा कर आई तो मेरे कन्हैया ने अपनी आँखे बंद कर ली, कारण क्या था? क्योकि जब एक बार मेरे ठाकुर की शरण में आ जाता है तो उसका उद्धार निश्चित है। परन्तु मेरे ठाकुर को दिखावा, छलावा पसंद नहीं। आप जैसे हो वैसे आओ रावण भी भगवान श्री राम के सामने आया परन्तु छल से नहीं शत्रु बन कर, कंस भी सामने शत्रु बन आया पर भगवान ने उनका उद्दार किया। लेकिन जब पूतना और शूपर्णखा आई तो प्रभु ने आखे फेर ली क्योंकि वो मित्र के वेश रख कर शत्रुता निभाने आई थी। आज के युग में भी तो यही हो रहा है हम दिखते कुछ है और होता कुछ है। इसलिए आज प्रभु को पाने में कठिनाई है तुम जैसे हो लालची हो तो वैसे ही जाओ, कामी हो तो वैसे ही, पापी हो तो भी मेरा ठाकुर तुमको अपना लेगा। क्योंकि हो तो आखिर तुम उसके ही। रोज बोलो ठाकुर से जो हूँ जैसा हूँ तुम्हारा ही हूँ वो कब तक नज़र बचाएगा। मेरा ठाकुर इतना दयालु है तार ही देगा। जैसे माँ को बालक जैसा भी हो प्यारा लगता है वैसे तुम जैसे हो वैसे ही मेरे ठाकुर के हो जाओ तो वो तुमको अपना प्यारा बना ही लेगा।
।। राधे राधे बोलना पड़ेगा ।।
Comments
Post a Comment