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आज प्रातः महाराज श्री ने काशी दशाश्वमेध घाट पर गंगा स्नान किया।





आज प्रातः महाराज श्री ने काशी दशाश्वमेध घाट पर गंगा स्नान किया। उसके बाद मणिकर्णिका घाट पर स्थित सतुआ बाबा जी के आश्रम पर गए एवं श्री सतुआ बाबाजी के साथ बाबा विश्वनाथ जी के दर्शन एवं अभिषेक किया तथा अंत में काशी विद्दुत परिषद में जाकर श्री रामयत्न शुक्ल जी का सम्मान किया। इस अवसर पर कार्ष्णि नागेंद्र जी महाराज एवं एस.के.सेठ, अयोध्या प्रसाद सेठ, नारायण सेठ, विजय शर्मा, श्याम सुंदर शर्मा, एच.पी अग्रवाल, अंतरिक्ष शुक्ला आदि सम्मानित गण मौजूद थे।

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परम पूज्य श्री देवकीनंदन ठाकुर जी महाराज के सानिध्य में मोतीझील ग्राउंड, कानपुर में आयोजित श्रीमद भागवत कथा के षष्टम दिवस में भगवान श्री कृष्ण की लीलाओं का सुंदर वर्णन भक्तों को श्रवण कराया। महाराज जी ने बताया की इस जीवन की कीमत केवल एक साधक ही जान सकता है क्योंकि यह मानव जीवन अनमोल है और इसको कुसंगति से बर्बाद नहीं करना चाहिए। इस चौरासी लाख योनियों में मानव जीवन को सर्वश्रेष्ठ माना गया है क्योंकि इसमें हमें प्रभु का नाम सुमिरन करने का सत्संग करने का अवसर प्राप्त होता है। रा म नाम सुमिरन से मानव जीवन का कल्याण हो जाता है। एक बार का प्रसंग बताते हुए महाराज जी ने कहा की एक आश्रम में एक शिष्य और गुरु जी थे किसी कार्य के कारण उनको आश्रम से बहार जाना पड़ा। शिष्य अकेला रह गया, तो वहां एक ग्रामीण आया उसने गुरूजी के विषय में पूछा की मुझे गुरूजी से मिलना है तब शिष्य ने बताया की गुरूजी तो नहीं है क्या मैं कुछ आपकी मदद कर सकता हूँ? उस आदमी ने बताया की मेरा लड़का बीमार है। तब शिष्य ने बताया की आप एक उपाय करे किसी स्थान पर तीन बार राम नाम लिखना और फिर उसको स्नान कराकर वो जल अपने ब
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