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आज पूज्य महाराज श्री को काशी विद्वत परिषद द्वारा “सनातन धर्म संरक्षक” की उपाधी से सम्मानित किया गया।



आज पूज्य महाराज श्री को काशी विद्वत परिषद द्वारा “सनातन धर्म संरक्षक” की उपाधी से सम्मानित किया गया। इस उपाधी को प्रदान करने के लिए काशी विद्वत परिषद के महामहोपाध्याय प्रो० रामयत्न शुक्ल जी, महामंत्री पूर्व कुलपति संपूर्णानंद विश्वविद्यालय प्रोफेसर शिव जी उपाध्याय, प्रवक्ता प्रो० दिनेश कुमार गर्ग, मंत्री प्रो० राम नारायण द्विवेदी, डॉ०ब्रज भूषण ओझा, पश्चिमी भारत के प्रभारी कार्ष्णि नागेंद्र महाराज, आचार्य राकेश महाराज पराशर, आचार्य दीपक मालवीय, प्रोफेसर हरप्रसाद दीक्षित एवं अन्य विद्वत समाज के सम्मानित व्यक्ति उपस्थित थे।

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परम पूज्य श्री देवकीनंदन ठाकुर जी महाराज के सानिध्य में मोतीझील ग्राउंड, कानपुर में आयोजित श्रीमद भागवत कथा के षष्टम दिवस में भगवान श्री कृष्ण की लीलाओं का सुंदर वर्णन भक्तों को श्रवण कराया। महाराज जी ने बताया की इस जीवन की कीमत केवल एक साधक ही जान सकता है क्योंकि यह मानव जीवन अनमोल है और इसको कुसंगति से बर्बाद नहीं करना चाहिए। इस चौरासी लाख योनियों में मानव जीवन को सर्वश्रेष्ठ माना गया है क्योंकि इसमें हमें प्रभु का नाम सुमिरन करने का सत्संग करने का अवसर प्राप्त होता है। रा म नाम सुमिरन से मानव जीवन का कल्याण हो जाता है। एक बार का प्रसंग बताते हुए महाराज जी ने कहा की एक आश्रम में एक शिष्य और गुरु जी थे किसी कार्य के कारण उनको आश्रम से बहार जाना पड़ा। शिष्य अकेला रह गया, तो वहां एक ग्रामीण आया उसने गुरूजी के विषय में पूछा की मुझे गुरूजी से मिलना है तब शिष्य ने बताया की गुरूजी तो नहीं है क्या मैं कुछ आपकी मदद कर सकता हूँ? उस आदमी ने बताया की मेरा लड़का बीमार है। तब शिष्य ने बताया की आप एक उपाय करे किसी स्थान पर तीन बार राम नाम लिखना और फिर उसको स्नान कराकर वो जल अपने ब
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