विश्व शांति सेवा चैरिटेबल ट्रस्ट के तत्वाधान में 17 से 24 अगस्त 2019 तक प्रतिदिन सुबह 9:30 बजे से विश्व शांति सेवा धाम, छटिकरा रोड, वृंदावन में पूज्य श्री देवकीनंदन ठाकुर जी महाराज के मुखारबिंद से 108 श्रीमद् भागवत कथा एवं श्रीकृष्ण जन्माष्टमी महोत्सव का आयोजन किया जा रहा है।
विश्व शांति सेवा चैरिटेबल ट्रस्ट के तत्वाधान में 17 से 24 अगस्त 2019 तक प्रतिदिन सुबह 9:30 बजे से विश्व शांति सेवा धाम, छटिकरा रोड, वृंदावन में पूज्य
श्री देवकीनंदन ठाकुर जी महाराज के मुखारबिंद से 108 श्रीमद् भागवत कथा एवं श्रीकृष्ण जन्माष्टमी महोत्सव का आयोजन किया जा रहा है।
“बिना सोचे समझे किसी की बात पर विश्वास ना करें : पूज्य श्री देवकीनंदन ठाकुर जी महाराज”
“ऐसा कर्म किजिए जिससे दोबारा जन्म ना लेना पड़े : पूज्य श्री देवकीनंदन ठाकुर जी महाराज”
विश्व शांति सेवा चैरिटेबल ट्रस्ट के तत्वाधान में 17 से 24 अगस्त 2019 तक प्रतिदिन सुबह 9:30 बजे से विश्व शांति सेवा धाम, छटिकरा रोड, वृंदावन में पूज्य श्री देवकीनंदन ठाकुर जी महाराज के मुखारबिंद से 108 श्रीमद् भागवत कथा एवं श्रीकृष्ण जन्माष्टमी महोत्सव का आयोजन किया जा रहा है।
कथा के तृतीय दिवस पर महाराज श्री ने भागवत कथा में बताया की जिस व्यक्ति की मृत्यु सातवें दिन हो उसको क्या करना चाहिए ? इस वृतांत का विस्तार से वर्णन किया।
भागवत कथा के तृतीय दिवस की शुरुआत भागवत आरती और विश्व शांति के लिए प्रार्थना के साथ की गई ।
तृतीय दिवस पर कथा पंडाल में मूलक पीठाधीश्वर स्वामी श्री राजेंद्र दास देवाचार्य जी महाराज ने अपनी गरिमामयी उपस्थिति दर्ज करवाई, संस्था की और से उन्हें स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया गया। महाराज श्री ने अपने श्रीवचनों से भक्तों को अलंकृत भी किया
पं. देवकीनंदन ठाकुर जी महाराज ने कथा की शुरूआत करते हुए कहा कि वेद व्यास जी ने बहुत ही बड़ा अनुग्रह करके यह कथा हम सब के लिए प्रस्तुत की है। वरना आजकल हमारे पास समय ही कहां है अपने कल्याण के विषय में सोचने का, जीव अपना ही अनर्थ कर रहा है। संसार के अल्पज्ञान के चक्कर में अपना विनाश किए जा रहा है। इस संसार में जहां जहां आप गए, जोभी व्यक्ति आपके जीवन में आया सबने आपको ज्ञान दिया और आपने लिया। वो ज्ञान आपने पाने की कोशिश की तब मिला लेकिन जब हरि को मनाने की कोशिश करोगे, संत के पास जाओगो, गुरू के पास जाओगे उनसे पूछोगे की मैं उन्हें कैसे मनाऊं वो भी रास्ता बताएंगे। जैसे संसार को जानने के लिए आप रास्ते पर चले, किसी की बात मानी और उसे माना, उसके बाद में वो आपको मिल भी गए लेकिन भगवान को पाने के रास्ते पर जब आप जाओगे गुरू, संत के बताए हुए मार्ग पर चलोगे तो निश्चित तौर पर आपको हरि मिलेंगे ही मिलेंगे।
महाराज श्री ने कहा कि आजकल हमारे घर बिगड़ रहे हैं, जानते हैं क्यों ? दूसरों की बातों पर विश्वास करने से हमारे घर बिगड़ रहे हैं। हमे किसी की भी बात पर विश्वास करने से पहले उन बातों को छान लेना चाहिए, अगर बिना सोचे समझे किसी की भी बातों पर विश्वास कर लोगे तो भी तो रिश्ते बिगड़ेगे ही।
पं. देवकीनंदन ठाकुर जी महाराज ने कथा की शुरूआत करते हुए कहा कि वेद व्यास जी ने बहुत ही बड़ा अनुग्रह करके यह कथा हम सब के लिए प्रस्तुत की है। वरना आजकल हमारे पास समय ही कहां है अपने कल्याण के विषय में सोचने का, जीव अपना ही अनर्थ कर रहा है। संसार के अल्पज्ञान के चक्कर में अपना विनाश किए जा रहा है। इस संसार में जहां जहां आप गए, जोभी व्यक्ति आपके जीवन में आया सबने आपको ज्ञान दिया और आपने लिया। वो ज्ञान आपने पाने की कोशिश की तब मिला लेकिन जब हरि को मनाने की कोशिश करोगे, संत के पास जाओगो, गुरू के पास जाओगे उनसे पूछोगे की मैं उन्हें कैसे मनाऊं वो भी रास्ता बताएंगे। जैसे संसार को जानने के लिए आप रास्ते पर चले, किसी की बात मानी और उसे माना, उसके बाद में वो आपको मिल भी गए लेकिन भगवान को पाने के रास्ते पर जब आप जाओगे गुरू, संत के बताए हुए मार्ग पर चलोगे तो निश्चित तौर पर आपको हरि मिलेंगे ही मिलेंगे।
महाराज श्री ने कहा कि आजकल हमारे घर बिगड़ रहे हैं, जानते हैं क्यों ? दूसरों की बातों पर विश्वास करने से हमारे घर बिगड़ रहे हैं। हमे किसी की भी बात पर विश्वास करने से पहले उन बातों को छान लेना चाहिए, अगर बिना सोचे समझे किसी की भी बातों पर विश्वास कर लोगे तो भी तो रिश्ते बिगड़ेगे ही।
पं. देवकीनंदन ठाकुर जी ने कथा के प्रसंग का वृतांत सुनाते हुए कल के कथा क्रम याद कराया की जिस व्यक्ति को यहाँ पता चल जाये की उसकी मृत्यु सातवें दिन हो वो क्या करेगा क्या सोचेगा ? राजा परीक्षित ने यह जान कर उसी क्षण अपना महल छोड़ दिया। पर आज तो आपको यह भी नहीं मालूम की आपकी मृत्यु कब होगी , मृत्यु तो निश्चित है पर कब ये आपको नहीं पता तो आप जीवित रहते हुए अपने समय को क्यों बर्बाद करते हो। मानव जीवन सबसे श्रेष्ठ है क्योकि इसमें हमे नाम सुमिरन करने का मार्ग उपलब्ध होता है अन्य किसी योनि में नहीं मिलता। तो इस मानव जीवन का मोल पहचाने और इसको प्रभु के चरणों में सोप दे तो कल्याण निश्चित ही होगा। भगवान अपने बारे में मानव से हुई भूल को तो भुला सकते हैं लेकिन संतों को लेकर की गई भूल के दुष्परिणाम से वह भी नहीं बचाते। इसका उदाहरण है कि राजा परीक्षित ने जब संत का अपमान किया तो राजा परीक्षित को भी काल के काल में जाने के लिए छोड़ दिया।
राजा परीक्षित ने अपना सर्वस्व त्याग कर अपनी मुक्ति का मार्ग खोजने निकल पड़े गंगा के तट पर। जब राजा परीक्षित भगवान शुकदेव जी महाराज के सामने पहुंचे तो उनको राजा ने शाष्टांग प्रणाम किया। शाष्टांग प्रणाम करने से पुण्य की प्राप्ति होती है। शुकदेव जी महाराज जो सबसे बड़े वैरागी है चूड़ामणि है उनसे राजा परीक्षित जी ने प्रश्न किया कि हे गुरुदेव जो व्यक्ति सातवें दिन मरने वाला हो उस व्यक्ति को क्या करना चाहिए? किसका स्मरण करना चाहिए और किसका परित्याग करना चाहिए? कृपा कर मुझे बताइये...
राजा परीक्षित ने अपना सर्वस्व त्याग कर अपनी मुक्ति का मार्ग खोजने निकल पड़े गंगा के तट पर। जब राजा परीक्षित भगवान शुकदेव जी महाराज के सामने पहुंचे तो उनको राजा ने शाष्टांग प्रणाम किया। शाष्टांग प्रणाम करने से पुण्य की प्राप्ति होती है। शुकदेव जी महाराज जो सबसे बड़े वैरागी है चूड़ामणि है उनसे राजा परीक्षित जी ने प्रश्न किया कि हे गुरुदेव जो व्यक्ति सातवें दिन मरने वाला हो उस व्यक्ति को क्या करना चाहिए? किसका स्मरण करना चाहिए और किसका परित्याग करना चाहिए? कृपा कर मुझे बताइये...
अब शुकदेव जी ने मुस्कुराते हुए परीक्षित से कहा की हे राजन ये प्रश्न केवल आपके कल्याण का ही नहीं अपितु संसार के कल्याण का प्रश्न है। तो राजन जिस व्यक्ति की मृत्यु सातवें दिन है उसको श्रीमद भागवत कथा का श्रवण करना चाहिए तो उसका कल्याण निश्चित है। श्रीमद भागवत में 18000 श्लोक, 12 स्कन्द और 335 अध्याय है जो जीव सात दिन में सम्पूर्ण भागवत का श्रवण करेगा वो अवश्य ही मनोवांछित फल की प्राप्ति करता है। राजा परीक्षित ने शुकदेव जी से प्रार्थना की हे गुरुवर आप ही मुझे श्रीमद भागवत का ज्ञान प्रदान करे और मेरे कल्याण का मार्ग प्रशस्थ करे।
भगवान मानव को जन्म देने से पहले कहते हैं ऐसा कर्म करना जिससे दोबारा जन्म ना लेना पड़े। मानव मुट्ठी बंद करके यह संकल्प दोहराते हुए इस पृथ्वी पर जन्म लेता है। प्रभु भागवत कथा के माध्यम से मानव का यह संकल्प याद दिलाते रहते हैं। भागवत सुनने वालों का भगवान हमेशा कल्याण करते हैं। भागवत ने कहा है जो भगवान को प्रिय हो वही करो, हमेशा भगवान से मिलने का उद्देश्य बना लो, जो प्रभु का मार्ग हो उसे अपना लो, इस संसार में जन्म-मरण से मुक्ति भगवान की कथा ही दिला सकती है। भगवान की कथा विचार, वैराग्य, ज्ञान और हरि से मिलने का मार्ग बता देती है। राजा परीक्षित के कारण है भागवत कथा पृथ्वी के लोगो को सुनने का सौभाग्य प्राप्त हुआ। समाज द्वारा बनाए गए नियम गलत हो सकते हैं किंतु भगवान के नियम ना तो गलत हो सकते हैं और नहीं बदले जा सकते हैं।
कथा का आयोजन विश्व शांति सेवा चैरिटेबल ट्रस्ट द्वारा किया जा रहा है। कथा पंडाल में 108 भागवत कथा के यजमानों सहित कई गणमान्य अतिथियों ने अपनी गरिमामयी उपस्थिती दर्ज करवाई ।
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