Skip to main content




परम पूज्य श्री देवकीनंदन ठाकुर जी महाराज के सानिध्य में मोतीझील ग्राउंड, कानपुर में आयोजित श्रीमद भागवत कथा के सप्तम दिवस में भगवान श्री कृष्ण की लीलाओं का सुंदर वर्णन भक्तों को श्रवण कराया तथा इसके साथ मृत्यु के रहस्य को भी समझाया।
महाराज श्री ने बताया की मृत्यु का रहस्य हल्का सा रहस्य हैं इस रहस्य को जो समझ लेगा उसके बाद उसे कभी मृत्यु से कभी भय नहीं होगा। प्रतिदिन हम मरते हैं आप सोच रहे होंगे प्रतिदिन हम कैसे मरते हैं? महाराज श्री ने बताया जब हम सोने जाते हैं जब आपको नींदआती हैं तब आप सोचिये की आप जिन्दा हो या मरे हुए, जैसे आप मृत्यु के बाद कुछ नहीं कर सकते। वैसे ही आप सोने के बाद कुछ नहीं कर सकते, सो गए तो दुनिया से खो गए वैसे ही मर गए तो भी दुनिया से खो गए, सोना यानि निद्रा ये भी मृत्यु से काम नहीं हैं ये मृत्यु का दूसरा रूप हैं हम रोज मरने जाते हैं कभी दोपहर को कभी शाम को रोज मरने जाते हैं और अपनी मर्जी से जाते हैं। फिर भी हमें कोई डर नहीं होता हैं क्योकि हमे पता होता हैं कि सो कर उठ जाने के बाद ही वही सब वही शुरू हो जायेगा। यही पुत्र हमारे हैं ये परिवार हमारा हैं। यही घोडा-गाड़ी सब हमारा हैं ये मकान दुकान सब हमारा हैं पर मृत्यु से इसीलिए डर लगता हैं की हमे लगता हैं की सब छूट जायेगा।
इस भागवत ने हमको सिखाया हैं कि जब एक व्यक्ति मरता है तो दुखी होता है और जब दूसरा व्यक्ति मरता हैं तो सुखी होता है। महाराज श्री ने ये भी बताया की मंगल स्वरुप ये दुनिया नहीं ये मंगल स्वरुप दुनिया बनाने वाला है। हमको आपको हम सभी को उसी स्वरुप के चरण शरण ग्रहण करना चाहिए।
।। राधे राधे बोलना पड़ेगा ।।

Comments

Popular posts from this blog

परम पूज्य श्री देवकीनंदन ठाकुर जी महाराज के सानिध्य में मोतीझील ग्राउंड, कानपुर में आयोजित श्रीमद भागवत कथा के षष्टम दिवस में भगवान श्री कृष्ण की लीलाओं का सुंदर वर्णन भक्तों को श्रवण कराया। महाराज जी ने बताया की इस जीवन की कीमत केवल एक साधक ही जान सकता है क्योंकि यह मानव जीवन अनमोल है और इसको कुसंगति से बर्बाद नहीं करना चाहिए। इस चौरासी लाख योनियों में मानव जीवन को सर्वश्रेष्ठ माना गया है क्योंकि इसमें हमें प्रभु का नाम सुमिरन करने का सत्संग करने का अवसर प्राप्त होता है। रा म नाम सुमिरन से मानव जीवन का कल्याण हो जाता है। एक बार का प्रसंग बताते हुए महाराज जी ने कहा की एक आश्रम में एक शिष्य और गुरु जी थे किसी कार्य के कारण उनको आश्रम से बहार जाना पड़ा। शिष्य अकेला रह गया, तो वहां एक ग्रामीण आया उसने गुरूजी के विषय में पूछा की मुझे गुरूजी से मिलना है तब शिष्य ने बताया की गुरूजी तो नहीं है क्या मैं कुछ आपकी मदद कर सकता हूँ? उस आदमी ने बताया की मेरा लड़का बीमार है। तब शिष्य ने बताया की आप एक उपाय करे किसी स्थान पर तीन बार राम नाम लिखना और फिर उसको स्नान कराकर वो जल अपने ब
आज गुरु पूर्णिमा के शुभ अवसर पर ठाकुर प्रियाकांत जू मंदिर, शांति सेवा धाम वृंदावन में गुरु पूजन करते हुए सभी शिष्य परिवार। || राधे राधे बोलना पड़ेगा ||