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पूज्य महाराज श्री के सानिध्य में 24 से 31 दिसंबर आयोजित श्रीमद भागवत कथा के प्रथम दिवस कथा का रसपान करें।





"भगवान की भक्ति टिकाऊ है बिकाऊ नहीं है।"
पूज्य महाराज श्री के सानिध्य में 24 से 31 दिसंबर तक, भेलपूरी चौक, महापौर निवास मैदान निगड़ी प्राधिकरण, पुणे, महाराष्ट्र में आयोजित श्रीमद भागवत कथा के प्रथम दिवस पर भगवान श्री कृष्ण की लीलाओं का सुंदर वर्णन भक्तों को श्रवण कराया।
आज कथा के प्रारम्भ होने से पहले पुणे के कार्यकर्ताओं एवं समिति के सदस्यों ने महाराज जी का अभिनन्दन किया। इस पर महाराज जी ने सभी भक्तों को इतने प्रेम के लिए धन्यवाद दिया और कहा की जितना सूंदर मेरे ठाकुर का द्धार आप सभी कार्यकर्ताओं ने सजाया है उसके लिए आप सभी का बहुत-बहुत साधुवाद। पंडाल में भागवत कथा सुनने श्रोताओं का हुजूम उमड़ रहा है।
महाराज जी ने बताया कि श्रीमद भगवत में चार अक्षर हैं भा ग व त , भ से भक्ति , ग से ज्ञान , व से वैराग्य , त से तरुण उद्धार अथार्त तत्प्श्चात मोक्ष..... भागवत कथा सुनने से किस प्रकार प्राणी का कल्याण हो जाता है जो भी भागवत की शरण में आएगा उस की मुक्ति निश्चित है, भागवत वेद रूपी वृक्ष का फल है। भगवान को जानने की इच्छा ही भागवत है। इसलिए भगवान को जानने और उनसे संबंध बनाने की कोशिश जरुर करना। क्योंकि दुनिया के सारे संबंध भले साथ छोड़ देंगे। लेकिन भगवान तुम्हारा साथ कभी नहीं छोडेंगे। अतः कन्हैया से ना केवल संबंध बनाओ बल्कि उसे निभाओ भी।
भागवत श्रवण का नियम बताते हुए महाराज श्री ने कहा कि भागवत भक्त बनकर सुनना चाहिए । भागवत पूरे 7 दिन सुनना चाहिए। केवल भगवान के बारे में सोचना चाहिए । जैसे मीरा ने सोचा, गोपियों ने सोचा और शबरी ने सोचा। भक्ति में धन नहीं भाव का महत्व है।
महाराज श्री ने कहा कि कलयुग में भागवत सबसे कल्याणकारी है। भगवान श्री कृष्ण के मुख से निकली भागवत ज्ञान गंगा की कोई सीमा नहीं है। भगवान प्राप्ति के लिए भागवत साधन और साध्य दोनों है। भगवान श्रीकृष्ण ने भागवत में अपने स्वरूप को ढाला है। इसलिए भागवत साक्षात श्री कृष्ण है और श्री कृष्ण अपने भक्तों की सच्ची पुकार को कभी नहीं ठुकराते। भागवत की कथा सभी मनोकामनाएं पूर्ण करने वाली है। शर्त यह है कि भक्ति की भावनायें पवित्र होनी चाहिए।
भागवत वेद रूपी वृक्ष का फल है। भगवान को जानने की इच्छा ही भागवत है। इसलिए भगवान को जानने और उनसे संबंध बनाने की कोशिश जरुर करना।
कथा को आगे बढ़ाते पूज्य श्री देवकीनंदन ठाकुर जी महाराज ने कहा कि मानव जीवन की इच्छा भगवत प्राप्ति की होनी चाहिए। सांसारिक चिंताओं से परे हटकर केवल आत्म कल्याण की सोचो। इस जिंदगी में जब भी कोई दुख आ जाए तो उसे इस दुनिया वालों को मत सुनाना। क्योंकि यह दुनिया वाले तुम्हारे दुख को सबके सामने फैला देंगे। अपना दुःख केवल दो ही लोगों को सुनाना। क्योंकि यह दुनिया वाले तुम्हारे दुख को सबके सामने फैला देंगे। अपना दुःख केवल दो ही लोगों को सुनाना। एक अपने गुरु और दूसरे अपने परमात्मा को। यह निश्चित समझो तुम्हारा सब दुख हमेशा के लिए दूर हो जाएगा।
कथा का प्रारंभ श्रीमती शैलजा मोरे(डेप्यूटी मेयर, पिम्परी चिंचवड़ महानगर पालिका), श्रीमती शर्मिला राजेन्द्र बाबर (पार्षद), श्री अमित गावड़े (पार्षद), श्री विशाल खंडेलवाल (पार्षद देहु रोड, कैनोटनमेन्ट बोर्ड), श्री सुभाष देवी चंद बंसल (अध्यक्ष श्री अग्रसेन ट्रस्ट, चिंचवड़), श्री जेपी सिंघल (अध्यक्ष- विश्व शांति सेवा समिति पुणे) द्वारा दीप प्रज्वलित करके किया गया। इस अवसर पर श्री प्रेम चंद जी मित्तल, श्री विनोद जी बंसल, श्री जोगिंदर मित्तल, श्री सागर अग्रवाल, सी. ए. के.एल. बंसल के साथ अन्य गणमान्य भी मौजूद रहे। कार्यक्रम के दौरान संचालन की भूमिका श्री विजय शर्मा जी ने निभाई ।
।। राधे राधे बोलना पड़ेगा ।।

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