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पूज्य महाराज श्री के सानिध्य में मकर संक्रांति के पावन अवसर पर 14 जनवरी 2018 को प्रयागराज, उत्तर प्रदेश में आयोजित श्री कृष्ण कथा के द्वितीय दिवस पर भगवान श्री कृष्ण की लीलाओं का सुंदर वर्णन भक्तों को श्रवण कराया।





पूज्य महाराज श्री के सानिध्य में मकर संक्रांति के पावन अवसर पर 14 - 15 जनवरी, के पी कम्युनिटी सेंटर, ऍम जी मार्ग (नियर सी ऍम पी डिग्री कालेज) प्रयागराज, उत्तर प्रदेश आयोजित श्री कृष्ण कथा के द्वितीय दिवस पर भगवान श्री कृष्ण की लीलाओं का सुंदर वर्णन भक्तों को श्रवण कराया।
महाराज जी ने कहा की दो दिवसीय इस कथा का विषय है 'जीवन यात्रा' तो इसी विषय को हम समझने का प्रयास करेंगे। मकर संक्रांति कल और आज मनाई गई कल शाम से प्रारम्भ होकर आज सुबह तक रही। मकर संक्रांति के समय मकर राशि में सूर्य का प्रवेश होता है पुराणों के अनुसार शनि देव के पिता है सूर्य और उनसे मिलने जब उनके राशि [ घर ] में प्रवेश करते है तो हम यह उत्सव मानते है। दूसरी कथा के अनुसार आज के दिन ही मधु - कैटव नामक राक्षस से नारायण ने युद्ध में परास्त कर एक पर्वत के नीचे दबा दिया था। तीसरी कथा के अनुसार एक राक्षस का वध करने के लिए माँ भगवती ने इस धरती पर अपना पदार्पण किया। चौथी कथा के अनुसार जो हम लोग जानते है की आज के दिन ही राजा भागीरथ ने तपस्या करके माँ गंगा को पृथ्वी पर लाये और आज के दिन अपने पितरो का तर्पण किया और माँ गंगा ने गंगा सागर के लिए प्रस्थान किया। पांचवी कथा के अनुसार गंगा पुत्र भीष्म ने सूर्य के उत्तरायण होने पर अपनी इच्छा मृत्यु को प्राप्त किया। कहा जाता है सूर्य के उत्तरायण होने पर जिनकी मृत्यु होती है वो सीधे मोक्ष को प्राप्त होता है।
यह हमारी परंपरा है जो हमारे बच्चो तक पहुंचना अति आवश्यक है। आज कल के बच्चो में अगर ये हमारी परम्पराओ का ज्ञान नहीं है तो मैं उन बच्चो की गलती नहीं मानता यह गलती है उन माँ - बाप की जो अपने बच्चो को संस्कार नहीं दे पाते। संस्कार से ही हमारी ये जीवन यात्रा सही दिशा में जा सकती है। हम सभी एक यात्रा ही तो कर रहे है जन्म से लेकर मृत्यु तक हम अपनी इस यात्रा को करते है और एक अनजाने भय के साथ कि कब न जाने कोई दुर्घटना हो जाये तो हमे बहुत सावधान रहने की आवश्यकता है। आप बताओ रोड पर जो दुर्घटनाये होती है कारण क्या है बस हमारी सावधानी की कमी, जैसे ही हमारा ध्यान भटकेगा तो दुर्घटना तो निश्चित है। वही है हमारा भी हिसाब की हमारा मन भटकता है तो हम अपना अच्छा बुरा नहीं जान पाते। मन के वशीभूत होकर ही हम इस जीवन यात्रा को सही ओर लेजाने के बजाये गलत दिशा में ले जाते है। क्योकि हम समय का सदुपयोग नहीं करते। हम आज के दिखावे की दुनिया में बहक जाते है तुम जैसे हो वैसे ही भगवान् के मार्ग पर चलो, तो ठाकुर बहुत दयालु है तुमको अपना लेगा और तुम्हारा कल्याण भी करेगा।
कल की कथा में हमने राजा भृतहरि की यात्रा को सुना राजा की यात्रा जब तक डगमगा रही थी जबतक राजा का मोह अपनी पत्नी में था। यात्रा - यात्रा का फर्क है भगवान श्री राम के अपनी पूरी जीवन यात्रा में अपने माता - पिता और गुरु की आज्ञा का पालन किया। और वही रावण ने कभी अपने माता- पिता गुरु का कहना नहीं माना। आप बताओ किसका चरित्र जीवन में उतारने योग्य है। जबकि रावण ने श्री राम से ज्यादा दिनों तक इस जीवन यात्रा को किया। रावण एक प्रकाण्ड विद्धान भी था, पर चरित्र ख़राब , दुष्ट आचरण, के कारण अपनी जीवन यात्रा को बर्वाद कर लिया। देखिये फर्क इस बात का नहीं है की जीवन कितना लम्बा है फर्क इस बात का है की जीवन जीया कैसे। आज कलयुगी मानव तो रावण से भी ज्यादा पापी हो गया है आज कल तो छोटी - छोटी बच्चियों , अपनी ही बहन , बेटियों पर कुदृष्टि रखता है। रावण ने तो इतना बुरा कर्म नहीं किया जितना आज का मानव कर रहा है पर फिर भी रावण को ये पापी लोग भी बुरा ही कहते है। जरा अपने अंदर झाँक कर देख कलयुगी मानव रावण तो फिर भी भगवान् श्री राम के हाथो मृत्यु को प्राप्त हुआ क्योकि वो बुरा था तो बुरा बन कर ही श्री राम के सामने आया। पर तुम तो चेहरे पर अच्छाई का नकाब लगाकर भगवान को ठगने की कोशिश करते हो। अब भी समय है अपने इस जीवन यात्रा को सही दिशा में ले जाओ तो, वो आपका कल्याण अवश्य करेगा
।। राधे राधे बोलना पड़ेगा ।।

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