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पूज्य महाराज श्री के सानिध्य में 26 जनवरी से 2 फरवरी प्रिंसेस श्राईन,पैलेस ग्राउंड,बंगलुरु में आयोजित श्रीमद भागवत कथा के प्रथम दिवस पर महाराज श्री ने भगवान श्री कृष्ण की लीलाओं का सुंदर वर्णन भक्तों को श्रवण कराया।




" मनुष्य को सदा के लिए अपने प्रभु की भक्ति में डूब जाना चाहिए "

पहले दिन के कथा की शुरुआत दीप प्रज्वलन और भागवत आरती के साथ की गई। देवकीनंदन ठाकुर जी महाराज ने कथा की शुरुआत करते हुए कहा की हमारे ऋषि मुनियों ने जो दिया है आज का साइंस उसी पर आधारित है....जो हमारे ऋषि मुनियों ने दिया वो साइंस दे नहीं सकता। आकाश में जो सबसे पहली ध्वनी हुई वो ऊँ की थी और इसी ऊँ में पूरी दुनिया समायी है।
महाराज जी ने कहा की हमारे भागवत में, पुराणों में, वेदों में ये कहा गया है की जो भी व्यक्ति भागवत नाम उच्चारण करेगा उस के सारे पाप उसी क्षण में समाप्त हो जाएंगे, लेकिन शर्त ये है की आगे पाप ना करें। महाराज जी ने कहा की अच्छे काम के लिए कभी किसी से मत पूछो, पूछना है तो भगवान से पूछो।
महाराज जी ने युवाओं को संदेश देते हुए कहा की अपने धर्म को जानने की कोशिश करो, भागवत पढ़ो, पुराण पढ़ो। जैसे डाक्टर बनने के लिए डॉक्टरी पडनी जरुरी है उसी तरह मानव जीवन को समझना है तो धर्म को पढ़ना जरुरी है, धर्म को समझना जरुरी है, धर्म पढोगे तभी तुम्हे कृष्ण समझ में आएगा।
देवकीनंदन ठाकुर जी महाराज ने कहा की मन के अंधकार को मिटाए बगैर जीवन का कल्याण नहीं हो सकता, मन का अंधकार मिटता है ज्ञान से, ज्ञान से बढ़ा प्रकाश नहीं होता।
महाराज जी ने कहा की मां बाप के लिए अपने बच्चे से ज्यादा कीमती कुछ नहीं होता। आप कितने भी बड़े हो जाओ मां बाप के लिए बडे नही होगे। यही ममता है और ये ममता पैसे से नही मिल सकती। आपका शोषण करने वाले बहुत मिलेंगे लेकिन पोषण करेंगे तुम्हारे मां बाप। जहां भी जाओगे खाने वाले ही मिलेंगे लेकिन खिलाएंगे तुम्हे तुम्हारे मां, बाप और गुरु ही हैं।
महाराज जी ने कहा की हरि अंनत है और हरि की कथा भी अनंत है। हमारी और आपकी कथाओं का अनत होता है लेकिन हरि की कथा का अंत किसी भी युग में नही हुआ। जैसे प्रभु नित्य नुतन है वैसे ही प्रभु की कथा भी नित्य नुतन है, भगवान की कथा जब भी सुनो नई ही लगती है।
प्रारम्भ में यह की भागवत का महात्यम क्या है ? एक बात सनकादिक ऋषि और सूद जी महाराज विराजमान थे तो उन्होंने ये प्रश्न किया की कलियुग के लोगो का कल्याण कैसे होगा ? आप देखिये किसी भी पुराण में किसी और युग के लोगो की चिंता नहीं की पर कलयुग के लोगो के कल्याण की चिंता हर पुराण और वेद में की गई कारण क्या है क्योकि कलयुग का प्राणी अपने कल्याण के मार्ग को भूल कर केवल अपने मन की ही करता है जो उसके मन को भाये वह बस वही कार्य करता है। और फिर कलियुग के मानव की आयु कम है और शास्त्र ज्यादा है तो फिर एक कल्याण का मार्ग बताया भागवत कथा। श्रीमद भागवत कथा सुनने मात्र से ही जीव का कल्याण हो जाता है महाराज श्री ने कहा कि व्यास जी ने जब इस भगवत प्राप्ति का ग्रंथ लिखा, तब भागवत नाम दिया गया। बाद में इसे श्रीमद् भागवत नाम दिया गया। इस श्रीमद् शब्द के पीछे एक बड़ा मर्म छुपा हुआ है श्री यानी जब धन का अहंकार हो जाए तो भागवत सुन लो, अहंकार दूर हो जाएगा। इस सांसारिक जीवन में जो कुछ भी प्राप्त किये हो सब किराए के मकान की तरह है। खाली करना ही पड़ेगा।
व्यक्ति इस संसार से केवल अपना कर्म लेकर जाता है। इसलिए अच्छे कर्म करो। भाग्य, भक्ति, वैराग्य और मुक्ति पाने के लिए भगवत की कथा सुनो। केवल सुनो ही नहीं बल्कि भागवत की मानों भी। सच्चा हिन्दू वही है जो कृष्ण की सुने और उसको माने , गीता की सुनो और उसकी मानों भी , माँ - बाप, गुरु की सुनो तो उनकी मानो भी तो आपके कर्म श्रेष्ठ होंगे और जब कर्म श्रेष्ठ होंगे तो आप को संसार की कोई भी वस्तु कभी दुखी नहीं कर पायेगी। और जब आप को संसार की किसी बात का फर्क पड़ना बंद हो जायेगा तो निश्चित ही आप वैराग्य की और अग्रसर हो जायेगे और तब ईश्वर को पाना सरल हो जायेगा। .
।। राधे-राधे बोलना पड़ेगा ।।

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परम पूज्य श्री देवकीनंदन ठाकुर जी महाराज के सानिध्य में मोतीझील ग्राउंड, कानपुर में आयोजित श्रीमद भागवत कथा के षष्टम दिवस में भगवान श्री कृष्ण की लीलाओं का सुंदर वर्णन भक्तों को श्रवण कराया। महाराज जी ने बताया की इस जीवन की कीमत केवल एक साधक ही जान सकता है क्योंकि यह मानव जीवन अनमोल है और इसको कुसंगति से बर्बाद नहीं करना चाहिए। इस चौरासी लाख योनियों में मानव जीवन को सर्वश्रेष्ठ माना गया है क्योंकि इसमें हमें प्रभु का नाम सुमिरन करने का सत्संग करने का अवसर प्राप्त होता है। रा म नाम सुमिरन से मानव जीवन का कल्याण हो जाता है। एक बार का प्रसंग बताते हुए महाराज जी ने कहा की एक आश्रम में एक शिष्य और गुरु जी थे किसी कार्य के कारण उनको आश्रम से बहार जाना पड़ा। शिष्य अकेला रह गया, तो वहां एक ग्रामीण आया उसने गुरूजी के विषय में पूछा की मुझे गुरूजी से मिलना है तब शिष्य ने बताया की गुरूजी तो नहीं है क्या मैं कुछ आपकी मदद कर सकता हूँ? उस आदमी ने बताया की मेरा लड़का बीमार है। तब शिष्य ने बताया की आप एक उपाय करे किसी स्थान पर तीन बार राम नाम लिखना और फिर उसको स्नान कराकर वो जल अपने ब
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